सांगली (महाराष्ट्र):महाराष्ट्र के एक छोटे से गांव के बच्चे, जिनके माता-पिता प्रवासी मजदूर हैं, अपने मुख्य भोजन 'भाकरी' (Bhakri), अन्य बुनियादी भोजन सामग्री बनाने और खुद की देखभाल करने के कौशल में महारत हासिल कर रहे हैं. जब उनके माता-पिता आसपास नहीं होते हैं, तो वे पढ़ाई करते हैं. सांगली के जठ तहसील के कुललवाड़ी जिला परिषद स्कूल (Zilla Parishad School) में एक शिक्षक द्वारा शुरू की गई नई पहल ने न केवल छात्रों की नामांकन दर में सुधार किया है, बल्कि क्षेत्र के अन्य स्कूल भी इस पहल का पालन कर रहे हैं. इस अभियान में शामिल अधिकांश छात्रों के माता-पिता गन्ना मजदूर हैं.
दिवाली त्योहार से पहले गन्ना पेराई सत्र शुरू होने से पहले फसल काटने के लिए कुललवाड़ी गांव से दूसरे क्षेत्रों में पलायन करते हैं. जैसा कि पहले बच्चों के पास अपने माता-पिता के साथ जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं था. वे अपनी पढ़ाई बंद कर स्कूल छोड़ देते थे. कुललवाड़ी जिला परिषद स्कूल के शिक्षक भक्तराज गरजे को 2016 में एक विचार आया कि वे कक्षा 1 से 8 तक के इन छात्रों को अपने माता-पिता की अनुपस्थिति में भी अपनी शिक्षा जारी रखने में मदद करें. उन्होंने बच्चों को घर में रहने, भाकरी और अन्य बुनियादी खाद्य पदार्थ बनाना सीखने और साथ ही स्कूल में पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया.
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