हैदराबाद: भाखड़ा नंगल बांध देश की सबसे बहुउद्देशीय परियोजनाओं में से एक है. इसका उद्देश्य देश में बिजली उत्पादन और कृषि के लिए पानी का इंतजाम करना है. आज भाखड़ा नंगल की बांध की बात इसलिये क्योंकि आज यानि 8 जुलाई के दिन साल 1954 में देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने भाखड़ा बांध परियोजना के तहत निकाली गई नहर का उद्घाटन किया था. भाखड़ा नंगल परियोजना का नाम भाखड़ा और नंगल दो गांवों के नाम पर है जहां ये दोनों बांध बनाए गए हैं. भाखड़ा हिमाचल के बिलासपुर में है जबकि नंगल पंजाब में है.
बांध से पहले भाखड़ा नहर बनाई गई
बांध से जुड़े योजनाकारों और इंजनियर्स ने इस परियोजना को लेकर दो बड़े फैसले लिए थे. पहला भाखड़ा बांध से पहले भाखड़ा नहर प्रणाली बनाने का और दूसरा विदेशी विशेषज्ञों की मदद से विभागीय रूप में बांध का निर्माण करने का. हालांकि अमेरिकी कंपनी बांध का डिजाइन सलाहकार थी लेकिन इसका क्रियान्वयन सिंचाई विभाग के इंजीनियर्स ने किया था. बांध से पहले नहर बनाने का फैसला लाभकारी साबित हुआ.
नहर प्रणाली को जल्दी पूरा करने के लिए जल्द से जल्द पर्याप्त बजट देने की मांग हुई ताकि किसानों को जल्द से जल्द पानी की सप्लाई हो सके.तत्काल बजट मिला और तेजी से काम शुरू हुआ जिसके परिणामस्वरूप भाखड़ा नहर प्रणाली का काम पूरा हुआ. जिसका उद्घाटन 8 जुलाई, 1954 को देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने किया. बांध का निर्माण कार्य साल 1963 में पूरा हुआ और 22 अक्टूबर 1963 को इसे राष्ट्र के नाम समर्पित किया गया.
हरित क्रांति में निभाई थी अहम भूमिका
भाखड़ा नंगल परियोजना के तहत निकाली गई उस नहर को आज 67 साल हो गए हैं. 8 जुलाई 1954 को तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने इसका उद्घाटन किया था. आजादी के बाद भारत में हरित क्रांति के सपने को साकार करने में इस नहर ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. और पिछले करीब 7 दशकों से ये नहर पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली को पानी उपलब्ध करवा रही है. यह नहर करीब 164 किलोमीटर लंबी है. जिसका 159 किलोमीटर हिस्सा पंजाब और बाकी हरियाणा में आता है.
भाखड़ा की इस मेन कैनाल में सतलुज और ब्यास नदी का 1,25,000 क्यूसिक पानी भाखड़ा नहर के जरिये हरियाणा और राजस्थान तक पहुंचाती है. इस नहर से जाने वाला पानी पीने और सिंचाई के काम आता है. ये नहर पिछले 67 सालों से लगातार यूं ही बह रही है यानि एक भी दिन के लिए ये नहर बंद नहीं हुई है.
तब देश का सबसे ऊंचा बांध था भांखड़ा नांगल
भाखड़ा नंगल बांध हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर ज़िले में सतलुज नदी पर बना है. इस बांध का निर्माण 'भाखड़ा नंगल परियोजना' के अंतर्गत हुआ है. 1948 में इस बाँध के निर्माण का कार्य शुरू हुआ और 1962 में यह बनकर तैयार हुआ. 22 अक्टूबर 1963 को देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने इसे देश के नाम समर्पित किया.
जब यह बाँध बनकर तैयार हुआ था, उस वक्त ये देश का सबसे ऊंचा बांध था. फ़िलहाल यह 856 फीट ऊँचे टिहरी बांध के बाद भारत का दूसरा सबसे ऊंचा बांध है. हिमाचल के बिलासपुर में शिवालिक पहाड़ियों के बीच बना ये बांध 740 फीट ऊंचा और 1700 फीट लंबा है. आधार में इसकी चौड़ाई 625 और ऊपर 30 फीट है. वहीं इससे 13 किलोमीटर दूर नीचे स्थित नंगल बांध 95 फीट ऊंचा और 1000 फीट लंबा है.
जब भाखड़ा नंगल परियोजना का उदघाटन किया जा रहा था, तो उस समय पंडित जवाहरलाल नेहरू ने कहा था- ‘भाखड़ा नंगल परियोजना में कुछ आश्चर्यजनक है, कुछ विस्मयकारी है, कुछ ऐसा है जिसे देखकर आपके दिल में हिलोरें उठती हैं. भाखड़ा भारत की प्रगति का प्रतीक है. इस बांध का मुख्य उद्देश्य सिंचाई और बिजली उत्पादन है. इस बांध से पंजाब के अलावा हरियाणा, राजस्थान, गुजरात और हिमाचल प्रदेश में बिजली की आपूर्ति होती है.
कई प्रस्ताव के बाद लगी थी बांध बनाने पर मुहर
सतलुज नदी पर बांध बनाने का विचार सबसे पहले सर लूडस डैने को आया. उन्होंने 8 नवम्बर, 1908 को अपनी टिप्पणी में इसका जिक्र किया. इस प्रस्ताव की रिपोर्ट साल 1910 में प्रस्तुत की गई हालांकि अनुमानित लागत को देखते हुए इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था.
इसके बाद 1919, 1939-42, 1945-46 और फिर 1948-51 में इस परियोजना का अंतिम प्रस्ताव लाया गया. इस दौरान बांध की ऊंचाई से लेकर जलाशय के निर्माण और बांध के डिजाइन तक पर कई दौर की चर्चा हुई.
बांध कौन बनाएगा ?
बांध को लेकर ज्यादातर कागजी कार्यवाही के बाद इस सवाल पर खूब माथापच्ची हुई कि बांध कौन बनाएगा. इसे लेकर बकायदा एक डिबेट हुई. भारतीय इंजीनियर्स के पास बांध बनाने की निपुणता, अनुभव या लोक निर्माण विभाग के साथ बनाने जैसे कई सवाल खड़े हुए. जिसपर अभियंता डॉ. ए एन खोसला ने विचार कर बताया कि बांध का निर्माण विदेशी विशेषज्ञों की देख-रेख में लोक निर्माण विभाग द्वारा बनाया जाना चाहिए. भारत सरकार को ऐसा बांध बनाना चाहिए जिसका निर्माण अब तक देश में ना हुआ हो. और बांध की ऊंचाई बढ़ानी होगी क्योंकि इस बांध का लाभ पंजाब से लेकर राजस्थान तक पहुंचाना था.