नागपुर :राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने देश की तेजी से बढ़ती जनसंख्या पर चिंता व्यक्त की है. उन्होंने राष्ट्रीय जनसंख्या नीति की समीक्षा का भी आह्वान किया है. उन्होंने सीमा पार से अवैध घुसपैठ पर लगाम लगाने और घुसपैठियों को नागरिकता का अधिकार हासिल करने एवं देश में जमीन खरीदने से रोकने के लिए राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) तैयार करने का भी आह्वान किया.
भागवत ने विजयादशमी पर यहां रेशमबाग में अपने वार्षिक संबोधन के दौरान आरएसएस कार्यकर्ताओं से कहा कि भारतीय मूल के धर्मों के लोगों की जनसंख्या की भागीदारी पहले 88 प्रतिशत थी, जो अब 83.8 प्रतिशत हो गई है जबकि मुस्लिम आबादी अतीत में 9.8 प्रतिशत थी, जो 1951 से 2011 के बीच बढ़कर 14.23 प्रतिशत हो गई.
उन्होंने कहा कि हमारा युवाओं का देश है, जिसमें 56 से 57 प्रतिशत आबादी युवा है, जो 30 साल बाद बुजुर्ग हो जाएगी. उसकी देखभाल के लिए ढेर सारे लोगों की जरूरत होगी. उनकी देखभाल के लिए कितने लोगों की आवश्यकता होगी? इन सभी पहलुओं पर विचार किया जाना चाहिए. इसी प्रकार, क्या हमारा पर्यावरण इस आबादी को बनाए रखने में सक्षम होगा और क्या हमारी माताएं सक्षम एवं सशक्त हैं, इस पर विचार करने की आवश्यकता है.
उन्होंने कहा कि आगामी 50 वर्षों को दिमाग में रखकर जनसंख्या संबंधी एक नीति बनाई जानी चाहिए और यह सभी पर एक समान रूप से लागू होनी चाहिए, क्योंकि जनसंख्या समस्या बन सकती है और उसमें असंतुलन भी समस्या बन सकता है.
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भागवत ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शीर्ष नीति निर्माण संस्था अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल (एबीकेएम) द्वारा 2015 में रांची में पारित प्रस्ताव जनसंख्या वृद्धि दर में असंतुलन की चुनौती में कहा गया था कि पिछले दशक में जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए उठाए गए कदमों के पर्याप्त परिणाम मिले हैं.
उन्होंने कहा कि एबीकेएम की राय थी कि 2011 की जनगणना के धार्मिक आंकड़ों के विश्लेषण के बाद सामने आए गंभीर जनसांख्यिकीय बदलावों ने जनसंख्या नीति की समीक्षा की आवश्यकता को रेखांकित किया है.