कोलकाता : चाय बोर्ड के अध्यक्ष पी के बेजबोरुआ (Tea Board India Chairman P.K. Bezbaruah) ने गुरुवार को कहा कि इस सांविधिक निकाय को नियामक की जगह संवर्धन और विपणन संगठन के रूप में अधिक सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए.
बेजबरुआ ने कहा कि उदारीकरण के मौजूदा परिदृश्य को देखते हुए 1953 के चाय अधिनियम के कुछ वर्गों को हटाने से जमीन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. उन्होंने सरकार द्वारा कानून की कुछ धाराओं को निलंबित करने के बारे में कहा, 'मुझे लगता है कि चाय बोर्ड को वर्तमान उदारीकृत वातावरण में नियामक के बजाय एक संवर्धन और विपणन निकाय के रूप में होना चाहिए.'
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