बैतूल।आदिवासी अंचल बैतूल के भैंसदेही में ऐसे कई दुर्गम इलाके हैं जहां बच्चों को स्कूल आने जाने में काफी जोखिम उठाने पड़ते हैं. इससे साल दर साल स्कूलों में छात्रों की संख्या लगातार घट रही है. लेकिन भैंसदेही का एक स्कूल ऐसा भी है जहां लगभग बन्द होने की कगार पर आ चुके एक सरकारी स्कूल में दोबारा बच्चों की किलकरियां गूंजने लगी और इस असम्भव को सम्भव कर दिखाया स्कूटी वाली मैडम ने. आपने ऐसी टीचर पहले कभी नहीं देखी होगी. आखिर कौन हैं ये स्कूटी वाली मैडम (Scooty Wali Madam) और कैसे ये सैकड़ों बच्चों के लिए एक फरिश्ते से कम नहीं. तो आपको बता दें कि मैडम का नाम अरुणा महाले है.
रोजाना घर लेने जाती हैं बच्चों को: आम तौर पर बच्चों को स्कूल तक लाने और वापस ले जाने का काम उनके परिजनों के जिम्मे होता है या फिर बच्चे खुद ही अपने स्कूल आते जाते हैं. लेकिन भैंसदेही की एक ऐसी अनोखी टीचर हैं जो हर दिन अपने स्कूल के बच्चों को स्कूल लाने और ले जाने खुद उनके घर तक जाती हैं. स्कूल की छुट्टी होने के बाद उन्हें वापस घर तक छोड़कर आती हैं. इस बात पर यकीन करना मुश्किल हो यह सच है. अरुणा महाले यानी स्कूटी वाली मैडम पिछले 7 साल से ये काम करती आ रही हैं. लेकिन क्यों करती हैं ऐसा जानिये इसके पीछे की वजह.
स्कूल बन्द होने की कगार पर आ गया था स्कूल: अरुणा महाले बैतूल जिले में भैंसदेही विकासखंड के ग्राम धूड़िया में पदस्थ हैं. दुर्गम इलाका होने की वजह से 7 साल पहले स्कूल में केवल 10 बच्चे रह गए थे. स्कूल बन्द होने की कगार पर आ चुका था. ये देखकर अरुणा ने कुछ नया करने की ठानी और अपनी स्कूटी की मदद से बच्चों को घर से स्कूल और स्कूल से घर लाना शुरू कर दिया. धीरे-धीरे करके अरुणा ने उन सभी बच्चों के पिक एंड ड्राप का काम शुरू कर दिया जो स्कूल नहीं आ रहे थे. नतीजा ये हुआ कि आज इस स्कूल में बच्चों की संख्या बढ़कर 85 हो गई है. शासन ने इस स्कूल को बन्द करने का फैसला वापस ले लिया है.