कोलकाता: पश्चिम बंगाल में त्रि-स्तरीय पंचायत प्रणाली के लिए आगामी चुनावों को लेकर राज्य में जारी हिंसा पर राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस की कड़ी टिप्पणियों पर राजनीतिक विवाद शुरू हो गया है. राज्यपाल ने उत्तर बंगाल दौरे के दौरान सिलीगुड़ी में मीडियाकर्मियों से कहा, 'एक राज्यपाल के रूप में यह सुनिश्चित करना मेरा कर्तव्य है कि पंचायत चुनाव से संबंधित मामलों में अदालत के आदेशों का सम्मान किया जाए. लोकतंत्र के रक्षकों के हाथों लोकतंत्र की हत्या स्वीकार नहीं है. मैं क्षेत्र में जा रहा हूं और लोगों से बातचीत कर रहा हूं. हम हिंसा को बर्दाश्त नहीं कर सकते और न ही करेंगे.'
राज्यपाल के बयान पर कड़ी आपत्ति जताते हुए पार्टी विधायक मदन मित्रा ने कहा कि राज्यपाल को 11 जुलाई को पश्चिम बंगाल से अपना रिटर्न टिकट बुक करना चाहिए, जब ग्रामीण निकाय चुनावों के नतीजे घोषित होंगे और तृणमूल कांग्रेस प्रचंड जीत हासिल करेगी. उन्होंने कहा, 'यह अभूतपूर्व है कि कैसे राज्यपाल राजभवन में विपक्षी दलों के नेताओं के साथ बैठकें कर रहे हैं और परोक्ष रूप से हिंसा भड़का रहे हैं. राजभवन परिसर के तथाकथित 'शांति कक्ष' में गुंडों को आश्रय दिया जा रहा है. मैं उन्हें सलाह देता हूं कि 11 जुलाई को अपना रिटर्न टिकट बुक कर लें. आपको उस दिन बंगाल छोड़ना होगा.'
तृणमूल कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा कि राज्यपाल ने अपने कार्यों से साबित कर दिया है कि वह अपने संवैधानिक अधिकार से परे काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा, 'पंचायत चुनाव खत्म होने के बाद राज्यपाल जहां भी जाएंगे, वापस जाओ के नारे के साथ विरोध का सामना करना पड़ेगा.' सीपीआई (एम) के राज्यसभा सदस्य और कलकत्ता उच्च न्यायालय के वरिष्ठ वकील बिकास रंजन भट्टाचार्य ने कहा कि इस तरह की अरुचिकर टिप्पणियों का सहारा लेना तृणमूल कांग्रेस नेताओं की आदत बन गई है.