कोलकाता : पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को कहा कि केंद्र सरकार के साथ टकराव में उनका प्रशासन अलपन बंदोपाध्याय के साथ खड़ा रहेगा.
राज्य के पूर्व मुख्य सचिव बंदोपाध्याय को दिल्ली तलब किए जाने और बाद में केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा उन्हें प्रधानमंत्री द्वारा बुलाई गई बैठक में शामिल नहीं होने को लेकर दिए गए नोटिस से यह टकराव उत्पन्न हुआ.
बंदोपाध्याय को आपदा प्रबंधन अधिनियम (डीएमए) के कथित उल्लंघन को लेकर यह नोटिस जारी किया गया.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने यह भी दावा किया कि अलपन बंदोपाध्याय विवाद अब एक 'समाप्त हो चुका अध्याय' है, हालांकि उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि कैसे, जबकि सोमवार को सेवानिवृत्ति हो चुके अधिकारी को डीएमए के कथित उल्लंघन को लेकर केंद्र की आपराधिक कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है.
विवाद पर सरकार के रूख के बारे में पूछे जाने पर ममता ने संवाददाताओं से कहा, 'अलपन बंदोपाध्याय अध्याय अब समाप्त हो चुका है. बंदोपाध्याय के साथ जो कुछ हो रहा है उसमें पश्चिम बंगाल सरकार पूरी तरह उनके साथ है.'
सिंचाई विभाग की बैठक में शामिल हुए अलपन
केंद्रीय गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि मुख्यमंत्री की ओर से 31 मई को उनकी सेवानिवृत्ति के एलान के कुछ ही घंटे पहले अलपन को आपदा प्रबंधन अधनियम 2005 के तहत नोटिस जारी किया गया.
बंदोपाध्याय ने मुख्य सलाहकार के रूप में काम शुरू कर दिया है. मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में बुधवार को हुई सिंचाई विभाग की बैठक में उन्होंने भाग लिया.
इस बीच, तृणमूल कांग्रेस की युवा शाखा के अध्यक्ष अभिषेक बनर्जी ने बुधवार को आरोप लगाया कि केंद्र की भाजपा सरकार का अलपन के खिलाफ कदम, पश्चिम बंगाल के प्रति भगवा पार्टी के प्रतिशोधी रवैये को दर्शाता है.
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उन्होंने दावा किया कि अगर पूर्व मुख्य सचिव के खिलाफ डीएमए के तहत कार्रवाई की जाती है तो जब राज्य में 'कोविड-19 के मामले बढ़ रहे थे' तब बड़ी चुनावी रैलियां करने को लेकर प्रधानमंत्री के खिलाफ भी यही कानून अमल में लाना जाना चाहिए.
ये है मामला
वर्ष 1987 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी अलपन बंदोपाध्याय 31 मई को सेवानिवृत्त होने वाले थे, लेकिन राज्य ने उनके कार्यकाल को तीन महीने के लिए बढ़ाने की अनुमति मांगी थी जो उन्हें पिछले माह मिल गई थी. राज्य सरकार ने इसके लिए पश्चिम बंगाल में जारी कोविड-19 की दूसरी लहर के प्रबंधन को लेकर उनके नेतृत्व में किए जा रहे कार्यों का हवाला दिया था.
चक्रवाती तूफान के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 28 मई को मुख्यमंत्री बनर्जी के साथ समीक्षा बैठक के बाद उठे विवाद के बाद बंदोपाध्याय को केंद्र सरकार द्वारा दिल्ली स्थित नार्थ ब्लॉक में रिपोर्ट करने को कहा गया था. इसके तुरंत बाद उन्हें मुख्यमंत्री का मुख्य सलाहकार नियुक्त कर दिया गया. इसके बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने आपदा प्रबंधन अधिनियम के कड़े प्रावधान के तहत बंद्योपाध्याय को कारण बताओ नोटिस जारी किया, जिसके तहत दो साल तक की कैद का प्रावधान है.
(पीटीआई-भाषा)