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कोवैक्सीन को WHO की मंजूरी मिलने से क्या हैं फायदे ? देश-दुनिया के करोड़ों के लिए क्यों है सबसे बड़ी उम्मीद ?

कोवैक्सीन को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है. आखिर इस मंजूरी से क्या और किसको फायदा होगा ? इस मंजूरी के बाद देश के लाखों लोग क्यों राहत की सांस ले रहे हैं ? इतना ही नहीं, दुनिया के दूसरे देशों में भी इस मंजूरी के बाद एक उम्मीद जगी है. क्या है इसकी वजह, जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर.

कोवैक्सीन
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Published : Nov 5, 2021, 5:58 PM IST

Updated : Nov 5, 2021, 7:20 PM IST

हैदराबाद : बुधवार 3 नवंबर को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत बायोटैक की कोविड-19 वैक्सीन कोवैक्सीन को आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी दे दी. दिवाली से एक दिन पहले आई इस खुशखबरी का इंतजार करोड़ों लोग कर रहे थे. बीते कई दिनों से WHO और कोवैक्सीन निर्माता कंपनी भारत बायोटेक के बीच बातचीत चल रही थी. इस मंजूरी के साथ ही भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है जिसकी वैक्सीन को WHO की मंजूरी मिली है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने क्या कहा

दरअसल कोवैक्सीन को WHO द्वारा मान्यता दिए जाने में देरी को लेकर कई सवाल उठ रहे थे. जिसपर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा कि कोविड वैक्सीन के आपात इस्तेमाल को मंजूरी की प्रक्रिया सख्त और वैज्ञानिक है, इसके लिए तमाम मानकों का ध्यान रखा जाता है. विशेषज्ञों का समूह इसके लिए वैक्सीन निर्माताओं और वैक्सीन से जुड़े डाटा की समीक्षा करते हैं कि वो कितनी कारगर और सुरक्षित है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक कोवैक्सीन कोरोना से रक्षा करने के लिए तय मानकों का पालन करती है और वैक्सीन के फायदे इसे पूरी दुनिया में इस्तेमाल के लायक बनाते हैं. कोवैक्सीन की दूसरी डोज के 14 या उससे अधिक दिनों के बाद ये 78 फीसदी कारगर है और स्टोर करने में आसानी होना इसे और भी बेहतर बनाता है, खासकर कम और मध्यम आय वाले देशों के लिए ये बहुत उपयोगी है. कोवैक्सीन के आपात इस्तेमाल को तो WHO ने हरी झंडी दे दी है लेकिन गर्भवती महिलाओं को कोवैक्सीन के इस्तेमाल को लेकर मंजूरी नहीं दी गई है. गर्भवती महिलाओं के लिए कोवैक्सीन के इस्तेमाल के बारे में अध्ययन किया जाएगा.

कोवैक्सीन की विशेषताएं

WHO की हरी झंडी से क्या फायदा होगा ?

1. विदेश जाने वाले लोगों को फायदा-देश में करोड़ों लोग कोवैक्सीन की डोज़ ले चुके हैं. इनमें से कई लोग ऐसे हैं जो पढ़ाई या नौकरी के लिए विदेश जाना चाहते हैं, जो कोवैक्सीन को विश्व स्वास्थ्य संगठन की हरी झंडी के बाद आसानी से विदेश यात्रा कर सकेंगे. दुनियाभर के देशों में WHO की मंजूरी मिली कोविड वैक्सीन को अपने आप मान्यता मिलने का नियम है. ऐसे में कोवैक्सीन की दोनों डोज़ लेने वाले लोगों को विदेश यात्रा के दौरान कोविड-19 टेस्टिंग या क्वारंटीन के नियमों की छूट मिलेगी.

2. वैक्सीन का एक्सपोर्ट-विश्व स्वास्थ्य संगठन की मंजूरी मिलने के बाद भारत बायोटेक की कोवैक्सीन दुनियाभर में बड़े पैमाने पर आसानी से एक्सपोर्ट की जा सकेगी. ये भारत की पहली स्वदेशी कोरोना वैक्सीन है. इससे आर्थिक तौर पर देश को तो फायदा होगा ही, कई देश जो वैक्सीन की कमी से जूझ रहे हैं WHO की मान्यता मिलने के बाद कोवैक्सीन का इस्तेमाल कर सकेंगे.

3. WHO का वैक्सीन बेड़ा- इस मंजूरी से WHO के कोरोना वैक्सीन बेड़े में एक और वैक्सीन जुड़ गई है, अब तक कुल 8 वैक्सीन को आपात इस्तेमाल की मंजूरी मिली है. विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से चलाए जा रहे कोविड-19 टीकाकरण अभियान में भी इससे मदद मिलेगी. WHO की चिंता हमेशा गरीब देशों में कम टीकाकरण को लेकर रही है, खासकर अफ्रीकी देशों में टीकाकरण की रफ्तार बहुत ही कम है. ऐसे में कोवैक्सीन को मंजूरी मिलने पर कई देशों तक वैक्सीन पहुंचने का रास्ता साफ हुआ है.

4. विदेशों में ट्रायल और उत्पादन- अब कोवैक्सीन को और भी अधिक बेहतर और कारगर बनाने के लिए भारत बायोटेक और आईसीएमआर दुनिया के दूसरे देशों के साथ ट्रायल कर सकेंगे. WHO की मान्यता मिलने के बाद अन्य देश आसानी से ट्रायल को मंजूरी दे देगा, साथ ही अन्य देशों में वैक्सीन निर्माता भी कोवैक्सीन के उत्पादन के लिए अपना हाथ आगे बढ़ा सकते हैं. ज्यादा उत्पादन बढ़ने से वैक्सीन ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचेगी.

5. भारत के अंतरराष्ट्रीय संबंध होंगे बेहतर- कोवैक्सीन को मिली विश्व स्वास्थ्य संगठन की मंजूरी के से भारत की विदेश नीति भी मजबूत होगी. भारत की स्वदेशी वैक्सीन दूसरे देशों के साथ संबंध मजबूत करने का अहम जरिया भी साबित हो सकती है. मित्र देशों के साथ रिश्ते और बेहतर करने में कारगर साबित हो सकता है.

सिर्फ 8 वैक्सीन को दी है WHO ने मंजूरी

अब तक कितनी वैक्सीन को मिली है WHO की मंजूरी

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अब तक सिर्फ 8 कोविड-19 वैक्सीन को ही आपताकालीन इस्तेमाल की मंजूरी दी है. कोवैक्सीन से पहले मॉडर्ना, फाइज़र, जॉनसन एंड जॉनसन, ऑक्सफोर्ड एस्ट्राजेनिका, कोविशील्ड, साइनोफार्म, साइनोवैक वैक्सीन इस सूची में शामिल है. इससे पहले भारत में इस्तेमाल हो रही सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया द्वारा निर्मित कोविशील्ड वैक्सीन को WHO पहले ही मंजूरी दे चुका है. कोविशील्ड ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी और दवा कंपनी एस्ट्राज़ेनेका ने मिलकर बनाई है उसी को सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया भारत में बना रहा है. इस सूची में अमेरिका की मॉडर्ना, फाइजर और जॉनसन एंड जॉनसन के अलावा चीन की साइनो फार्म और साइनोवैक वैक्सीन है.

WHO से पहले इन देशों ने दी मंजूरी

विश्व स्वास्थ्य संगठन से पहले सोमवार 1 नवंबर को ऑस्ट्रेलिया ने कोवैक्सीन को मंजूरी दी थी और इस वैक्सीन की दोनों डोज़ लेने वालों को ऑस्ट्रेलिया की यात्री की मान्यता दी थी. बता दें कि ऑस्ट्रेलिया में भारतीय मूल के लोगों की अच्छी खासी तादाद है जबकि लाखों छात्र हायर स्टडीज के लिए ऑस्ट्रेलिया जाते हैं. सोमवार को ही किर्गिस्तान, फिलिस्तीन, मॉरीश, मंगोलिया और एस्टोनिया ने भी कोवैक्सीन को मंजूरी दी थी. इससे पहले मैक्सिको, नेपाल, ईरान, ओमान, गुयाना जैसे कई और देश भी कोवैक्सीन को हरी झंडी दे चुके हैं. जहां कोवैक्सीन लेने वालों यात्रा के अलावा क्वारंटीन नियमों से छूट मिली है.

भारत बायोटेक ने आईसीएमआर के साथ मिलकर बनाई है कोवैक्सीन

कोवैक्सीन की शेल्फ लाइफ भी बढ़ी

CDSCO (Central Drugs Standard Control Organisation) ने कोवैक्सीन की शेल्फ लाइफ यानि उपयोग अवधि को 12 महीने बढ़ाने की मंजूरी दे दी है. बुधवार को ही केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने कोवैक्सीन की शेल्फ लाइफ को निर्माण की तारीख से 12 महीने तक बढ़ाने को मंजूरी दी है. यानी अब इस वैक्सीन का इस्तेमाल निर्माण के 12 महीने बाद तक किया जा सकेगा. दरअसल शेल्फ लाइफ किसी दवा या वैक्सीन की लाइफ यानि ये कितने दिन कारगर रहेगी. जैसा कि हम दवा के इस्तेमाल से पहले उसकी एक्सपायरी देखते हैं. वैक्सीन की शेल्फ लाइफ या एक्सपायरी 6 महीने होती है. इस फैसले से कोवैक्सीन की बर्बादी कम होगी और इसे अधिक दिन तक स्टोर किया जा सकेगा.

कोवैक्सीन की विशेषताएं

कोवैक्सीन को बनाने में मरे हुए कोरोना वायरस (निष्क्रिय) का इस्तेमाल किया गया है. इस वैक्सीन को भारत बायोटेक ने ICMR (Indian Council of Medical Research) के साथ मिलकर बनाया है. शरीर की इम्यून कोशिकाएं टीका लगाने के बाद मरे हुए वायरस को भी पहचान लेता है. इसके बाद वह इम्यून सिस्टम को इस वायरस के ख़िलाफ एंटीबॉडी बनाने को प्रेरित करती हैं. कोवैक्सीन की दो डोज 28 दिन के अंतराल पर दी जाती हैं और इस वैक्सीन को दो से आठ डिग्री के तापमान पर स्टोर किया जा सकता है.

तीसरे चरण के ट्रायल में कोवैक्सीन 77.8% प्रभावी पाई गई थी. भारत बायोटेक के मुताबिक ये कोरोना के कई वेरिएंट अल्फा, गामा, जेटा, कप्पा, बीटा, डेल्टा आदि के खिलाफ कारगर साबित हुई ही. भारत और ब्रिटेन जैसे देशों में कहर बरपा चुके डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ कोवैक्सीन 65.2 फीसदी कारगर है.

पीएम मोदी ने भी ली थी कोवैक्सीन की डोज़

पीएम मोदी ने भी लगवाई थी कोवैक्सीन

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी जब कोरोना की वैक्सीन लगवाई तो उन्होंने भारत की पहली स्वदेशी वैक्सीन कोवैक्सीन को ही चुना था. पीएम मोदी के अलावा उनके मंत्रिमंडल के कई मंत्री और देश के कई नेता कोवैक्सीन की डोज ले चुके हैं. देश में भी कोविड-19 टीकाकरण में कोवैक्सीन का इस्तेमाल हो रहा है और करोड़ों लोग कोवैक्सीन की डोज ले चुके हैं.

बच्चों के टीकाकरण लिए भी कोवैक्सीन को मिल सकती है मंजूरी

भारत में फिलहाल बच्चों का टीकाकरण शुरू नहीं हुआ है. भारत बायोटेक ने 2 साल से 18 साल के बच्चों पर किए गए ट्रायल का डेटा CDSCO के पास भेजा था. जिसके आधार पर CDSCO और सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी ने इसकी सकारात्मक सिफारिश की है. अब CDSCO की तरफ से कुछ अन्य मंजूरियों का भी इंतजार है. माना जा रहा है कि आने वाले वक्त में देश में 2 साल से 18 साल तक के आयु वर्ग के लिए भी कोवैक्सीन को मंजूरी मिल सकती है.

बताया जा रहा है कि 2 से 18 साल के बच्चों के ट्रायल में कोवैक्सीन बच्चों पर असरदार साबित हुई है और इसका कोई साइड इफेक्ट भी नजर नहीं आया है. इन बच्चों को 28 दिन के अंतराल में दो डोज़ दी गई थी. वैक्सीन के मूल्यांकन के बाद DGCI की तरफ से कोवैक्सीन को मंजूरी दी जाएगी और फिर सरकार की तरफ से बच्चों के वैक्सीनेशन को लेकर गाइडलाइन जारी की जाएगी.

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Last Updated : Nov 5, 2021, 7:20 PM IST

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