हैदराबाद : बुधवार 3 नवंबर को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत बायोटैक की कोविड-19 वैक्सीन कोवैक्सीन को आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी दे दी. दिवाली से एक दिन पहले आई इस खुशखबरी का इंतजार करोड़ों लोग कर रहे थे. बीते कई दिनों से WHO और कोवैक्सीन निर्माता कंपनी भारत बायोटेक के बीच बातचीत चल रही थी. इस मंजूरी के साथ ही भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है जिसकी वैक्सीन को WHO की मंजूरी मिली है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने क्या कहा
दरअसल कोवैक्सीन को WHO द्वारा मान्यता दिए जाने में देरी को लेकर कई सवाल उठ रहे थे. जिसपर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा कि कोविड वैक्सीन के आपात इस्तेमाल को मंजूरी की प्रक्रिया सख्त और वैज्ञानिक है, इसके लिए तमाम मानकों का ध्यान रखा जाता है. विशेषज्ञों का समूह इसके लिए वैक्सीन निर्माताओं और वैक्सीन से जुड़े डाटा की समीक्षा करते हैं कि वो कितनी कारगर और सुरक्षित है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक कोवैक्सीन कोरोना से रक्षा करने के लिए तय मानकों का पालन करती है और वैक्सीन के फायदे इसे पूरी दुनिया में इस्तेमाल के लायक बनाते हैं. कोवैक्सीन की दूसरी डोज के 14 या उससे अधिक दिनों के बाद ये 78 फीसदी कारगर है और स्टोर करने में आसानी होना इसे और भी बेहतर बनाता है, खासकर कम और मध्यम आय वाले देशों के लिए ये बहुत उपयोगी है. कोवैक्सीन के आपात इस्तेमाल को तो WHO ने हरी झंडी दे दी है लेकिन गर्भवती महिलाओं को कोवैक्सीन के इस्तेमाल को लेकर मंजूरी नहीं दी गई है. गर्भवती महिलाओं के लिए कोवैक्सीन के इस्तेमाल के बारे में अध्ययन किया जाएगा.
WHO की हरी झंडी से क्या फायदा होगा ?
1. विदेश जाने वाले लोगों को फायदा-देश में करोड़ों लोग कोवैक्सीन की डोज़ ले चुके हैं. इनमें से कई लोग ऐसे हैं जो पढ़ाई या नौकरी के लिए विदेश जाना चाहते हैं, जो कोवैक्सीन को विश्व स्वास्थ्य संगठन की हरी झंडी के बाद आसानी से विदेश यात्रा कर सकेंगे. दुनियाभर के देशों में WHO की मंजूरी मिली कोविड वैक्सीन को अपने आप मान्यता मिलने का नियम है. ऐसे में कोवैक्सीन की दोनों डोज़ लेने वाले लोगों को विदेश यात्रा के दौरान कोविड-19 टेस्टिंग या क्वारंटीन के नियमों की छूट मिलेगी.
2. वैक्सीन का एक्सपोर्ट-विश्व स्वास्थ्य संगठन की मंजूरी मिलने के बाद भारत बायोटेक की कोवैक्सीन दुनियाभर में बड़े पैमाने पर आसानी से एक्सपोर्ट की जा सकेगी. ये भारत की पहली स्वदेशी कोरोना वैक्सीन है. इससे आर्थिक तौर पर देश को तो फायदा होगा ही, कई देश जो वैक्सीन की कमी से जूझ रहे हैं WHO की मान्यता मिलने के बाद कोवैक्सीन का इस्तेमाल कर सकेंगे.
3. WHO का वैक्सीन बेड़ा- इस मंजूरी से WHO के कोरोना वैक्सीन बेड़े में एक और वैक्सीन जुड़ गई है, अब तक कुल 8 वैक्सीन को आपात इस्तेमाल की मंजूरी मिली है. विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से चलाए जा रहे कोविड-19 टीकाकरण अभियान में भी इससे मदद मिलेगी. WHO की चिंता हमेशा गरीब देशों में कम टीकाकरण को लेकर रही है, खासकर अफ्रीकी देशों में टीकाकरण की रफ्तार बहुत ही कम है. ऐसे में कोवैक्सीन को मंजूरी मिलने पर कई देशों तक वैक्सीन पहुंचने का रास्ता साफ हुआ है.
4. विदेशों में ट्रायल और उत्पादन- अब कोवैक्सीन को और भी अधिक बेहतर और कारगर बनाने के लिए भारत बायोटेक और आईसीएमआर दुनिया के दूसरे देशों के साथ ट्रायल कर सकेंगे. WHO की मान्यता मिलने के बाद अन्य देश आसानी से ट्रायल को मंजूरी दे देगा, साथ ही अन्य देशों में वैक्सीन निर्माता भी कोवैक्सीन के उत्पादन के लिए अपना हाथ आगे बढ़ा सकते हैं. ज्यादा उत्पादन बढ़ने से वैक्सीन ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचेगी.
5. भारत के अंतरराष्ट्रीय संबंध होंगे बेहतर- कोवैक्सीन को मिली विश्व स्वास्थ्य संगठन की मंजूरी के से भारत की विदेश नीति भी मजबूत होगी. भारत की स्वदेशी वैक्सीन दूसरे देशों के साथ संबंध मजबूत करने का अहम जरिया भी साबित हो सकती है. मित्र देशों के साथ रिश्ते और बेहतर करने में कारगर साबित हो सकता है.
अब तक कितनी वैक्सीन को मिली है WHO की मंजूरी
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अब तक सिर्फ 8 कोविड-19 वैक्सीन को ही आपताकालीन इस्तेमाल की मंजूरी दी है. कोवैक्सीन से पहले मॉडर्ना, फाइज़र, जॉनसन एंड जॉनसन, ऑक्सफोर्ड एस्ट्राजेनिका, कोविशील्ड, साइनोफार्म, साइनोवैक वैक्सीन इस सूची में शामिल है. इससे पहले भारत में इस्तेमाल हो रही सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया द्वारा निर्मित कोविशील्ड वैक्सीन को WHO पहले ही मंजूरी दे चुका है. कोविशील्ड ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी और दवा कंपनी एस्ट्राज़ेनेका ने मिलकर बनाई है उसी को सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया भारत में बना रहा है. इस सूची में अमेरिका की मॉडर्ना, फाइजर और जॉनसन एंड जॉनसन के अलावा चीन की साइनो फार्म और साइनोवैक वैक्सीन है.