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भारतीय होने के नाते स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदानों को न भूलें: RSS - आरएसएस राष्ट्रीय कार्यकारी सदस्य डॉ नरेश कुमार

डॉ नरेश ने इस मौके पर भारत की आजादी के लिए अपने प्राणों का बलिदान देने वाले स्वतंत्रता सेनानियों को याद किया. उन्होंने कहा कि हमें एक भारतीय होने के नाते अपने स्वतंत्रता सेनानियों के साहस और बलिदानों को कभी नहीं भूलना चाहिए. ये वहीं स्वतंत्रता सेनानी हैं, जिन्होंने देश के लिए अपनी जान की परवाह किये बगैर देश को आजादी दिलायी थी. उन्होंने एकता और समृद्धि का माहौल विकसित करने की आवश्यकता को दोहराया.

डॉ नरेश
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Published : Apr 14, 2022, 10:28 PM IST

नई दिल्ली : भारत में शांति और एकता ही इस देश को महान बनाने का एकमात्र मार्ग है. यह बात आरएसएस के राष्ट्रीय कार्यकारी सदस्य डॉ नरेश कुमार ने दिल्ली में डॉ भीमराव अंबेडकर ने कहीं. यहां आरएसएस की ओर से 131वीं जयंती और रमजान की इफ्तार पार्टी का आयोजन किया गया था. डॉ नरेश ने इस मौके पर भारत की आजादी के लिए अपने प्राणों का बलिदान देने वाले स्वतंत्रता सेनानियों को याद किया.

उन्होंने कहा कि हमें भारतीय होने के नाते अपने स्वतंत्रता सेनानियों के साहस और बलिदानों को कभी नहीं भूलना चाहिए. ये वहीं स्वतंत्रता सेनानी हैं, जिन्होंने देश के लिए अपनी जान की परवाह किये बगैर देश को आजादी दिलायी थी. उन्होंने एकता और समृद्धि का माहौल विकसित करने की आवश्यकता को दोहराया. डॉ नरेश ने कहा कि कुछ लोग हैं जो हमारे देश की शांति और समृद्धि को नुकसान पहुंचाना चाहते हैं और अब समय आ गया है कि उन्हें यह महसूस करना चाहिए कि वे अपने एजेंडे में कभी सफल नहीं हो पाएंगे.

उन्होंने कहा, 'मैं राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न सम्मेलनों में भाग लेता रहा हूं और कुछ दिन पहले मैं अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और उस्मानिया विश्वविद्यालय भी गया था. वहां मैने राष्ट्रीयता, एकता, शांति और देशभक्ति पर बात की थी. उन्होंने कहा कि सच बोलने में कभी भी संकोच या डर नहीं होना चाहिए, भले ही वह कड़वा हो. इंसान को सच बोलने में झिझक नहीं होनी चाहिए, लेकिन साथ ही उसे अपनी हद में भी रहनी चाहिए. देश के संविधान के निर्माण में डॉ भीमराव अंबेडकर की भूमिका महत्वपूर्ण है. इसके साथ ही वे शिक्षा के महत्व के प्रतीक हैं. वह जाति व्यवस्था के खिलाफ खड़े थे और चाहते थे कि सभी वर्ग के लोग एक समान व्यवस्था में रहें. वह स्वयं को हमेशा एक भारतीय के रूप में परिचय देते थे. उन्होंने सुभाष चंद्र बोस, सरदार पटेल के योगदानों पर चर्चा की.

उन्होंने कहा, 'जो लोग यहां पाकिस्तान के समर्थन में नारे लगाते हैं, उनके साथ किस प्रकार का व्यवहार होना चाहिए. विभाजन के बाद, हैदराबाद में किसी तरह का विद्रोह हुआ और वहां से 10 लाख लोग पाकिस्तान चले गए. इसके साथ ही, बलूचिस्तान में सिंधियों, पीओजेके और खैबर पख्तूनख्वा के लोग की स्थिति देखें. अब तक, एक करोड़ से अधिक लोग नागरिकता के बिना रह रहे हैं, जो अपने आप में पाकिस्तान में रहने की स्थिति को बताता है. सीएए का जिक्र किए बिना उन्होंने इस मुद्दे पर परोक्ष रूप से बात की और कहा कि जब यह नागरिकता का मुद्दा उठाया गया तो कुछ लोगों ने उद्देश्य उठाना शुरू कर दिया.

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