राजे काल को लेकर समझें सियासी नजरिया जयपुर.राजस्थान में नये मुख्यमंत्री के शपथ लेने के साथ ही वसुंधरा राजे के राजनीतिक भविष्य पर अटकलें लगाने का दौर भी चल पड़ा है. कोई उनकी सियासी पारी के विराम के रूप में इस स्थिति को देख रहा है. तो किसी के नजरिए में राजे का स्वभाव और उनसे जुड़ा इतिहास कहानी के पलटते पन्ने की ओर इशारा कर रहा है. वसुंधरा राजे मुख्यमंत्री तो नहीं बन सकीं हैं, ऐसे में पार्टी की नजर में उनकी अगली भूमिका क्या हो सकती है ?
जिस तरह से बीते ढाई दशक में वसुंधरा राजे ने राजस्थान पर दो बार शासन किया है, उससे यह जाहिर होता है कि वे हमेशा राजनीति का केंद्र रहना पसंद करती हैं. जब भी विरोधी खेमे से राजे की इच्छा के विरुद्ध निर्णय की स्थिति आई , तब-तब राजे का रुख बगावत समझा गया है. इस बार वे मुख्यधारा से दूर दिख रही हैं और उनका रुख अब तक साफ नहीं है. ऐसे में कई कयास सियासी गलियारों में जारी हैं.
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जे.पी.नड्डा ने बताई राजे की अगली भूमिका: एक निजी चैनल के संपादक के साथ चर्चा में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी.नड्डा ने पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे की अगली भूमिका को लेकर संकेत दिए. जेपी नड्डा ने चैनल को दिए इंटरव्यू में पूर्व मुख्यमंत्रियों को नई और बड़ी जिम्मेदारी देने की बात कही. इस दौरान बीजेपी अध्यक्ष ने कहा है कि दस से 15 साल तक का तजुर्बा रखने वाले पूर्व मुख्यमंत्रियों का सही जगह पर इस्तेमाल करने में पार्टी पीछे नहीं रहेगी. इन नेताओं के कद के मुताबिक जिम्मा सौंपा जाएगा. नड्डा ने कहा जब तीसरी-चौथी पंक्ति पर बैठे साधारण कार्यकर्ता का पार्टी ध्यान रखती है, तो सालों तक सीएम रहे तजुर्बे वाले नेताओं को कैसे छोड़ा जा सकता है? गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह को स्पीकर बनाने पर फैसला ले लिया गया है, लेकिन राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज सिंह अभी विधायक पद पर ही काबिज़ हैं. ऐसे में नड्डा के संकेत के बाद दोनों नेताओं की अगली और प्रभावी भूमिका का संकेत मिल रहा है.
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राजस्थान में है अब यह कयास:वरिष्ठ पत्रकार श्याम सुंदर शर्मा के अनुसार वसुंधरा राजे की भूमिका को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है. शर्मा के मुताबिक रमन सिंह , शिवराज सिंह और राजे की किस्मत का फैसला तो हो चुका है, जिसमे पार्टी हाईकमान ने संकेत भी दिए हैं. हालांकि शर्मा कहते हैं कि राजे को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के नाते पहले भी दिल्ली बुलाने की चर्चाएं रही है, पर वह राजस्थान का मोह नहीं छोड़ सकीं है. साथ ही वरिष्ठ पत्रकार श्याम सुंदर बताते हैं कि हैं कि आने वाले लोकसभा चुनाव में दुष्यंत सिंह की जीत और उनके सियासी भविष्य पर राजे काम कर सकती है.
ऐसे में वह फिलहाल दिल्ली नहीं जाएंगी. जहां तक सवाल भविष्य का है, तो इस पर फैसला भी राजे को खुद ही लेना है, पार्टी ने अपनी ओर से कदम उठा दिया है. पार्टी ने विधानसभा चुनाव में भी राजे के चेहरे को हाशिए पर रखा, ऐसे में राजे लोगों के बीच जा सकती है, पर उनके दोबारा सीएम की कुर्सी तक पहुंचने की अटकलें हकीकत में बदलना मुश्किल है.