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उमेश पाल की हत्या से पहले अशरफ से मिलने बरेली जेल पहुंचे थे आठ लोग, ढाई घंटे तक रची गई थी साजिश

उमेश पाल की हत्या से पहले 11 फरवरी को अशरफ से 8 लोग एक साथ मुलाकात करने बरेली जेल पहुंचे थे. इस मुलाकात के दौरान क्या हुआ था चलिए आगे जानते हैं.

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Published : Apr 9, 2023, 5:47 PM IST

लखनऊ: उमेश पाल की हत्या से पहले बरेली जेल में ढाई घंटे तक घटना को अंजाम देने के लिए साजिश रची गई थी. घटना से पहले 11 फरवरी को अशरफ से 8 लोग एक साथ मुलाकात करने बरेली जेल पहुंचे थे, जहां पर इन लोगों ने ढाई घंटे तक मुलाकात की थी. ‌जेल में ही घटना को अंजाम देने के लिए रूपरेखा तैयार की गई और यह तय किया गया कि घटना के दौरान कौन क्या करेगा. जेल में ढाई घंटे के अंदर ही यह तय किया गया कि घटना को अंजाम देने के बाद कौन कहां फरार होगा. सामान्यता जेल में मिलने का समय आधा घंटे का होता है लेकिन बरेली जेल में अपराधियों ने ढाई घंटे तक बैठकर इतनी बड़ी वारदात की साजिश रची.


यह खुलासा डीआईजी जेल बरेली रेंज ने अपनी जांच रिपोर्ट में किया है. रिपोर्ट के अनुसार बरेली जेल में 11 फरवरी को अशरफ से 8 लोग मिलने के लिए जेल पहुंचे थे. मुलाकात के लिए मोहम्मद अजहर के नाम से आवेदन दिया गया था. उसकी आईडी के साथ मोहम्मद असद का आधार कार्ड भी लगाया गया था. सीसीटीवी फुटेज व जेल के दस्तावेजों में यह बात निकल के सामने आई है कि आईडी और आवेदन पत्र पर दोपहर 1:22 बजे अशरफ से मुलाकात के लिए 8 लोग जेल के अंदर पहुंचे थे. 1:22 बजे जेल के अंदर घुसे 8 लोगों ने अशरफ से लंबी मुलाकात की और 3:14 बजे तक जेल में रुके. ‌ 11 फरवरी को अशरफ से मिलने के लिए असद, मोहम्मद गुलाम, गुड्डू मुस्लिम और विजय उर्फ उस्मान चौधरी शामिल थे. ‌ डीआईजी जेल की रिपोर्ट के मुताबिक अशरफ को 10 जुलाई 2020 को प्रशासनिक आधार पर केंद्रीय कारागार नैनी से बरेली कारागार लाया गया था.

बरेली जेल के मुलाकात से जुड़े दस्तावेजों की जांच में पता चला है कि 21 से 26 दिसंबर 2021 और 26 जून 2022 तक कुल 9 मुलाकात कंप्यूटराइज पर्ची के जरिए हुई हैं बाकी 14 मुलाकातें आवेदन पत्र के जरिए कराई गई. इन सभी मुलाकातों के लिए 2 से 3 व्यक्तियों के नाम एवं उनके पहचान पत्र जमा कराए गए थे. कंप्यूटराइज पर्ची पर तात्कालिक मुलाकात प्रभारी द्वारा हस्ताक्षर दर्ज किए गए हैं, परंतु आवेदन पत्र पर मुलाकात स्वीकृति किए जाने वाले स्वरूप प्रभारी मुलाकात या जेलर के हस्ताक्षर नहीं मिले हैं. इसके चलते आशंका जताई गई है कि जेल कर्मियों व जेल अधिकारियों की मिलीभगत से अशरफ की अधिकृत रूप से निर्धारित संख्या से अधिक व्यक्तियों से मुलाकात कराई जाती थी.

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