नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि 1995 में पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हुई हत्या के मामले (Beant Singh assassination) में दोषी ठहराये गए बलवंत सिंह राजोआना (balwant singh rajoana) की याचिका पर एक नवंबर को तीन न्यायाधीशों की एक पीठ सुनवाई करेगी. याचिका में, राजोआना ने अपनी मौत की सजा को उम्र कैद में तब्दील करने का अनुरोध किया है. उसकी दया याचिका एक दशक से अधिक समय से सरकार के पास लंबित है.
राजोआना के वकील मुकुल रोहतगी ने प्रधान नयायाधीश उदय उमेश ललित की अध्यक्षता वाली पीठ को बताया कि उनका मुवक्किल 26 वर्षों से जेल में है. उन्होंने कहा कि शीर्ष न्यायालय के फैसलों के आधार पर उनके पास यह एक ठोस आधार है कि संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन की स्वतंत्रता के संरक्षण का अधिकार) का हनन हुआ है.
शीर्ष न्यायालय ने राजोआना की मौत की सजा को उम्र कैद में तब्दील करने पर केंद्र के फैसला करने में नाकाम रहने को लेकर 28 सितंबर को नाखुशी जताई थी. मंगलवार की सुनवाई के दौरान रोहतगी ने पीठ के समक्ष जोर देते हुए कहा कि राजोआना सजा में इस तरह का परिवर्तन किये जाने का हकदार है. पीठ में न्यायमूर्ति एसआर भट और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी भी शामिल हैं. पीठ ने इस बात का जिक्र किया कि केंद्र ने पूर्व में उच्चतम न्यायालय में एक सह-आरोपी द्वारा दायर अपील के लंबित रहने का हवाला दिया था. न्यायालय ने कहा कि वह दोनों विषयों- सह-आरोपी की लंबित अपील और राजोआना की याचिका, को एक ही दिन सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर सकता है.