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बीसीआई ने कानून के छात्रों के लिए परीक्षा की पद्धति तय करने के लिए पैनल का गठन किया

कोरोना महामारी को लेकर बीसीआई (BCI) ने एलएलबी छात्रों के लिए परीक्षा और मूल्यांकन की पद्धति तय करने के लिए उच्च स्तरीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया है.

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Published : Jun 2, 2021, 6:05 PM IST

बीसीआई
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नई दिल्ली :भारतीय विधिज्ञ परिषद (BCI) ने कोविड-19 महामारी के मद्देनजर एलएलबी छात्रों के लिए परीक्षा और मूल्यांकन की पद्धति तय करने के लिए एक 'उच्च स्तरीय विशेषज्ञ समिति' का गठन किया है.

शीर्ष बार निकाय ने कहा कि समिति का गठन देश भर के कई छात्रों के अनुरोध के मद्देनजर किया गया है, जिसमें विधि संकाय, दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के 273 छात्र भी शामिल हैं. देश में कानूनी शिक्षा के नियामक बीसीआई ने कहा कि उसने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश, न्यायमूर्ति गोविंद माथुर की अध्यक्षता में 12 सदस्यीय विशेषज्ञ समिति का गठन करने का फैसला लिया है.

बीसीआई ने बुधवार को एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा, 'विधि संकाय, डीयू के 273 छात्रों सहित कानूनी शिक्षा के कई संस्थानों के छात्रों ने ईमेल भेजा था, जिनमें अनुरोध किया गया है कि एक समग्र योजना के माध्यम से यूजीसी दिशानिर्देश के अनुसार एलएलबी मध्यवर्ती सेमेस्टर परीक्षा/मूल्यांकन और प्रोन्नति प्रक्रिया आयोजित की जानी चाहिए यानी उसमें 50 प्रतिशत आंतरिक मूल्यांकन और 50 प्रतिशत अंक पिछले प्रदर्शन के आधार पर निर्धारित किए जाने चाहिए.'

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बीसीआई अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा ने कहा कि 27 मई को डीयू के विधि संकाय की डीन प्रोफेसर वंदना ने भारतीय विधिज्ञ परिषद को एक ईमेल भेजा था, जिसमें बताया गया था कि विश्वविद्यालय ने स्नातक और अन्य संकायों के लिए परीक्षा की घोषणा की है, जो सात जून से शुरू होने जा रही है.

बार निकाय ने कहा, 'उन्होंने विशेष रूप से एलएलबी (सभी वर्ष) के लिए निर्धारित परीक्षा का उल्लेख किया था जो 10 जून को ओबीई (ओपन-बुक परीक्षा) ब्लेंडेड मोड में शुरू होनी थी.' बीसीआई ने कहा कि उन्होंने विशेष रूप से पूछा है कि क्या बीसीआई ने केंद्रीय विश्वविद्यालयों में विधि विभागों के लिए कोई सामान्य निर्देश जारी किया गया है या जारी करने वाला है.

बीसीआई ने कहा कि उसने कानून के मध्यवर्ती या अंतिम सेमेस्टर के छात्रों के लिए परीक्षा आयोजित करने के संबंध में कोई दिशानिर्देश जारी नहीं करने का फैसला किया था क्योंकि पिछले साल के दिशानिर्देशों को अदालतों के समक्ष चुनौती दी गई थी और कुछ विश्वविद्यालय परीक्षा आयोजित करने के लिए अपना प्रोटोकॉल अपनाना चाहते थे.

(पीटीआई-भाषा)

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