नई दिल्ली : दिल्ली हाई कोर्ट ने बवाना पटाखा फैक्ट्री के मालिक को 34 लाख रुपये जमा करने का निर्देश दिया है. यह रकम उन पीड़ितों के परिवार को दी जाएगी, जिन्होंने इस अग्निकांड में अपनी जान गंवाई थी. हादसे में 17 लोगों की जान चली गई थी.
अदालत ने कहा कि यह राशि यहां उत्तर पूर्व जिले के कर्मचारी मुआवजा अधिनियम के आयुक्त के पास जमा की जाए और यह नवंबर और जनवरी तक दो किस्तों में की जाए. न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने कहा कि इन दो जमा के अधीन, कारखाने के मालिक द्वारा इस याचिका को दायर करने में देरी को माफ कर दिया जाएगा और कोई भी कठोर कार्रवाई नहीं करने का अंतरिम आदेश जारी रहेगा तथा आयुक्त द्वारा पीड़ितों के प्रत्येक कानूनी उत्तराधिकारियों को दो लाख रुपये जारी किए जाएंगे.
पीड़ित परिवारों को दो-दो लाख मुआवजा
जान गंवाने वाले पीड़ित के परिवार को दो-दो लाख रुपये दिए जाएंगे. अदालत ने कहा, 'राशि जमा करने और जारी करने का निर्देश पीड़ितों के परिवारों को कुछ सहायता प्रदान करने के लिए दिया जा रहा है, जिन्होंने कमाने वाले सदस्यों को खो दिया है. पीड़ितों में एक 13 साल की किशोरी भी शामिल थी. उपरोक्त जमा राशि वर्तमान याचिका में आगे के आदेशों के अधीन होगी.'
याचिकाकर्ता मनोज जैन द्वारा बवाना में संचालित पटाखा बनाने वाले कारखाने में 20 जनवरी 2018 को आग लगने की घटना हुई थी. आग ने भयंकर रूप ले लिया था जिसमें 17 श्रमिकों की मौत हो गई थी और दो अन्य घायल हो गए थे. भारतीय दंड संहिता और विस्फोटक अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी.
जैन ने कर्मचारी मुआवजा अधिनियम के तहत आयुक्त द्वारा उन्हें जारी जनवरी 2018 के नोटिस को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था. उसके तहत जैन को कारखाने में काम के दौरान मरने वाले कर्मचारियों के कानूनी उत्तराधिकारियों को मुआवजे की राशि का भुगतान करने का निर्देश दिया गया था.
अपील दायर करने में विलंब के लिए माफी के वास्ते अर्जी के अनुसार देरी का कारण वकील को बताया गया, जिसके बारे में कहा गया कि उसने याचिकाकर्ता को सलाह दी थी कि प्राथमिकी के संबंध में आपराधिक मुकदमा अधिक महत्वपूर्ण है और कर्मचारी मुआवजा अधिनियम के तहत कार्यवाही दीवानी है.