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लद्दाख में डाक बंगले के इस्तेमाल से रोके जाने पर उमर अब्दुल्ला ने लिया चीन का नाम, जानें क्यों

जम्मू और कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को कथित तौर पर एक सरकारी डाक बंगले के इस्तेमाल से रोका गया. साथ ही उमर अब्दुल्ला का आरोप है कि सोमवार को लद्दाख के दौरे के एक बैठक को संबोधित करने के लिए माइक के इस्तेमाल से भी रोका गया. इसपर उन्होंने सरकार से सवाल किया कि जब उनके लिए इतने प्रतिबंध हैं तो फिर चीन इस क्षेत्र में आसानी से कैसे प्रवेश कर जाता है.

उमर अब्दुल्ला
उमर अब्दुल्ला

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Published : Nov 1, 2022, 8:07 AM IST

कारगिल (लद्दाख): नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) के नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि लद्दाख यात्रा के दौरान उन्हें द्रास डाक बंगले और माइक के इस्तेमाल से रोका गया. उन्होंने केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के प्रशासन पर आरोप लगाया कि उन्हें एक कार्यकर्ता के समारोह में माइक के उपयोग की अनुमति नहीं दी गई. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि लद्दाख दौरे के दौरान द्रास डाक बंगले में रहने की भी अनुमति प्रदान नहीं की गई.

उमर अब्दुल्ला ने कहा कि प्रशासन ने हमसे कहा कि हमें उस जगह (द्रास) का दौरा नहीं करना चाहिए. वे क्यों डरते हैं? आप (सरकार) चीन को रोक नहीं सकते और उन्हें पीछे नहीं धकेल सकते, लेकिन जब हम श्रीनगर से द्रास होते हुए कारगिल आना चाहते थे, तो उन्होंने हमें अनुमति नहीं दी जाती है. अब्दुल्ला ने मीडिया को बताया कि द्रास में हमारे कार्यकर्ताओं की बैठक से माइक हटा दिया गया और डाक बंगले को सील कर दिया गया. वास्तव में, एसडीएम (सब डिविजनल मजिस्ट्रेट) व्यक्तिगत रूप से हमारी गतिविधियों की निगरानी कर रहे थे.

उमर अब्दुल्ला ने कहा कि सब डिविजनल मजिस्ट्रेट हमारी बैठक स्थल के ठीक बगल में खुद तैनात थे. 5 अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर से अलग कर लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया. तब से अब्दुल्ला का यह दूसरा लद्दाख दौरा था. उन्होंने कहा कि प्रशासन की यह कार्रवाई यह दिखाती है कि व्यवस्था कितनी अस्थिर है. हमारे पास किसी भी सार्वजनिक सभा या जुलूस की कोई योजना नहीं थी. फिर भी वे माइक स्नैचिंग जैसी हरकतों का सहारा ले रहे हैं. उन्होंने कहा कि यह दिखाता है कि बुनियादी आतिथ्य का संस्कार भी प्रशासन भूल गया है.

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उमर अब्दुल्ला ने कहा कि एक पूर्व मुख्यमंत्री और उच्च सुरक्षा वर्गीकरण के दायरे में आने के कारण भी लद्दाख प्रशासन को शिष्टाचार के तहत मेरे लिए फ्रेश होने के लिए एक कमरा उपलब्ध कराना चाहिए था. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि द्रास में मेरे पर्याप्त मित्र और शुभचिंतक हैं जिनकी वजह से मुझे कभी प्रशासन के इंतजाम के भरोसे नहीं रहना पड़ा. पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि कारगिल और लेह को जम्मू-कश्मीर से अलग कर दिया गया है. लेकिन यदि मैं कारगिल और लेह के लोगों की मांगों पर ध्यान दे रहा हूं तो प्रशासन क्यों मेरे इस दौरे से डरा हुआ है.

अब्दुल्ला के करीबी सहयोगी, नासिर असलम वानी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोगों का कारगिल और लेह के लोगों के साथ खून का रिश्ता है. यह एक पुराना रिश्ता है. कोई भी सीमा हमारे रिश्ते को खत्म नहीं कर सकती. हम एक-दूसरे के दर्द को समझते और साझा करते हैं. द्रास के कई नेकां नेताओं ने लद्दाख में नौकरशाही शासन को समाप्त करने का आह्वान किया. नेकां के एक नेता ने कहा कि 5 अगस्त, 2019 से कारगिल में लोकतंत्र का गला घोंट दिया गया है. हमें यहां बाहर के तैनात नौकरशाहों ने गुलाम बना दिया है.

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इससे पहले एक अलग कार्यक्रम में लद्दाख स्वायत्त पहाड़ी विकास परिषद (एलएएचडीसी-लेह) के मुख्य कार्यकारी पार्षद ताशी ग्यालसन ने केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के स्थापना दिवस समारोह का नेतृत्व किया और 19वीं शताब्दी के उत्तरार्ध के बौद्ध लामा कुशोक बकुला रिनपोछे को श्रद्धांजलि दी. उन्होंने कहा कि लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा मिले यह रिनपोछे का सपना था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के समर्थन से वर्ष 2019 में इस सपने को साकार किया गया.

मैं अपने लोगों से अपील करता हूं कि वे आगे आएं और इस नई यात्रा में लद्दाख को आगे बढ़ाने में हमारे साथ शामिल हों. उन्होंने कहा कि आजाद भारत के पहले उप प्रधानमंत्री और गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल की आज जयंती है. जिसे राष्ट्र राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाता है. उन्होंने कहा, हमें सरदार पटेल को उन सभी कार्यों के लिए धन्यवाद देना चाहिए जो उन्होंने भारत को एकीकृत करने के लिए किये.

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