भरतपुर. पूरा देश रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियों में जुटा है. देशवासियों को घर-घर जाकर चावल देकर निमंत्रण दिया जा रहा है. राम मंदिर और रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर भारतपुर वासियों में अनूठा उत्साह है. इसके पीछे की खास वजह यह है कि राम मंदिर का निर्माण जिस पत्थर से हो रहा है, वो पत्थर भरतपुर के बंशी पहाड़पुर से भेजा जा रहा है. इस पत्थर की मजबूती और सुंदरता की वजह से 34 साल पहले मंदिर निर्माण के लिए इसका चयन किया गया. इतना ही नहीं, मंदिर निर्माण में भरतपुर के और भी कई महत्वपूर्ण योगदान रहे हैं.
भाजपा के प्रदेश मंत्री (हिंदू जागरण मंच के पूर्व विभाग संयोजक) गिरधारी तिवारी ने बताया कि वर्ष 1989 में राम मंदिर मुहिम जोर पकड़ रही थी. उस समय रामशिला पूजन कार्यक्रम में भरतपुर से श्री राम लिखी हुई ईंटें तैयार कर भेजी गईं. राम जन्मभूमि आंदोलन में एकदम से भरतपुर का महत्व बढ़ गया. कार सेवकों के दलों का उत्तर प्रदेश में प्रवेश भरतपुर के रास्ते से कराया गया. उसी दौरान वर्ष 1990 में राम मंदिर निर्माण के लिए देशभर में उच्च गुणवत्ता वाले पत्थर की तलाश की जा रही थी. भरतपुर के बंशी पहाड़पुर के पत्थर की जांच के लिए आचार्य गिर्राज किशोर, अशोक सिंघल और राम मंदिर के आर्किटेक चंद्रकांत सोमपुरा भरतपुर आए. बंशी पहाड़पुर के पत्थर को मंदिर निर्माण के लिए चुना गया.