करनाल: हरियाणा की बेटी और अंतरिक्ष में जाने वाली पहली भारतीय महिला कल्पना चावला के पिता और वरिष्ठ समाजसेवी बनारसी लाल चावला का 94 साल की उम्र में निधन हो गया है. बनारसी लाल चावला के निधन से परिवार में शोक की लहर है. बनारसी लाल चावला ने अपना समस्त जीवन सामाजिक कार्यों में लगा दिया. मरणोपरांत भी उन्होंने अपनी देह को मेडिकल छात्रों के शोध के लिए दान कर दिया. उन्होंने अपनी यह अंतिम इच्छा वसीयत में लिखी थी.
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आपको बता दें कि वरिष्ठ समाजसेवी बनारसी लाल चावला ने अपनी बेटी कल्पना चावला की शिक्षा और शोध के लिए पूरा सहयोग किया. जिसकी बदौलत कल्पना चालवा अंतरिक्ष में जाने वाली भारतीय मूल की पहली महिला बन पाई. उन्होंने समाज की बेहतरी के लिए काम किया और मरने के बाद भी वो समाज के काम आ रहे हैं. बनारसी दास हमेशा बच्चों को प्रेरित करते थे और गरीब लड़कियों को कंप्यूटर और अन्य कोर्स नि:शुल्क करवाते थे.
कल्पना चावला के पिता गरीब लड़कियों को मुफ्त शिक्षा दिलाने का काम भी करते थे. इसके अलावा गरीब बच्चों की शिक्षा भी निशुल्क देने जैसे कामों से वो जुड़े थे. बनारसी दास चावला किसी फंक्शन में बुके और गिफ्ट नहीं लेते थे. जानकारी के मुताबिक, बनारसी लाल चावला का अंतिम संस्कार करने की बजाय उनका शव कल्पना चावला मेडिकल कॉलेज में दान दिया जाएगा. ताकि मेडिकल के छात्र इस पर रिसर्च कर सकें. करीब 2 बजे उनके पार्थिव शरीर को निर्मल कुटिया लाया जाएगा. उसके बाद करनाल मेडिकल कॉलेज को सौंपा जाएगा.
कल्पना चावला मेडिकल कॉलेज के डायरेक्टर डॉक्टर जगदीश चंद्र ड्यूरेजा ने कहा कि समाजवादी बनारसी लाल चावला ने समाज के लिए बहुत ही सराहनीय कार्य किया है. अब जाते-जाते भी उन्होंने अपने मरने उपरांत अपने शरीर को कल्पना चावला मेडिकल कॉलेज करनाल को दान कर दिया है ताकि उनका शरीर मरने के बाद भी मेडिकल स्टूडेंट्स की रिसर्च के काम आ सके.
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