नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने आंध्र प्रदेश में राष्ट्रीय राजमार्ग सहित विभिन्न सड़कों पर जनसभाओं और रैलियों को प्रतिबंधित करने वाले शासनादेश के अमल पर रोक संबंधी उच्च न्यायालय के हालिया फैसले के खिलाफ राज्य सरकार की अपील शुक्रवार को फिर से अदालत को वापस भेज दी. प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी. एस. नरसिम्हा की पीठ ने राज्य सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सी. एस. वैद्यनाथन की दलीलों पर गौर किया और आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से अनुरोध किया कि वह अपनी अध्यक्षता वाली खंडपीठ द्वारा याचिका पर सुनवाई सुनिश्चित करें.
याचिका पर सुनवाई शुरू होने पर वैद्यनाथन ने उच्च न्यायालय में घटनाओं के क्रम का उल्लेख करते हुए प्रक्रियात्मक चूक को रेखांकित किया था. वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा, 'यह (उच्च न्यायालय की)अवकाशकालीन पीठ का घोर उल्लंघन है. अवकाश पीठ ऐसा कैसे कह सकती है.' उन्होंने कहा कि प्रक्रिया के अनुसार राज्य सरकार के नीतिगत फैसलों से संबंधित किसी भी मामले पर उच्च न्यायालय की अवकाशकालीन पीठ सुनवाई नहीं कर सकती.
वैद्यनाथन ने कहा कि राज्य सरकार के फैसले पर याचिका का उल्लेख शीतकालीन अवकाश के दौरान किया गया था और उसी दिन उच्च न्यायालय ने इस आदेश पर रोक लगा दी थी. प्रधान न्यायाधीश ने कहा, 'हम उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से अनुरोध करेंगे कि 23 जनवरी को अपनी अध्यक्षता वाली उच्च न्यायालय की खंडपीठ द्वारा मामले की सुनवाई सुनिश्चित करें,' शीर्ष अदालत ने इसके बाद मामले को दोबारा आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय भेज दिया. वकील महफूज अहसान नाज़की ने भी अदालत में आंध्र प्रदेश सरकार का पक्ष रखा.