पाली : राजस्थान में पाली जिले के बाली क्षेत्र की 11 महिलाओं ने मिलकर दूध उत्पादन की शुरुआत की थी. वहीं, आज प्रदेश के पांच जिलों में 28 हजार महिलाएं (Source of Income for Pali Women) संगठित होकर कार्य कर रही हैं और हर महीने हजारों रुपये कमा रही हैं. कई गांवों में मिल्क कलेक्शन सेंटर बने हुए हैं, जहां 1 लाख लीटर से अधिक दूध महिलाएं पहुंचा रही हैं.
महिलाएं कैसे बन रहीं, आत्मनिर्भर, सुनिए... 2016 में हुई थी शुरुआत :आशा महिला मिल्क प्रोड्यूसर कंपनी के (PIB हेड) शिव कुमार तोमर ने बताया कि कंपनी की शुरुआत 11 महिलाओं ने 21 मार्च 2016 को पाली जिले के बाली क्षेत्र में की थी. लेकिन आज पाली, सिरोही, जालोर, उदयपुर और डूंगरपुर की करीब 28 हजार महिलाएं इस काम से जुड़ी हुई हैं. ये सारी महिलाएं ग्रामीण क्षेत्रों से हैं, जो आत्मनिर्भर बन अपने परिवार की भी देखभाल करती हैं.
कुछ इस तरह होता है काम : शिव कुमार ने बताया कि महिलाएं मिल्क कलेक्शन सेंटर में दूध देती हैं, उसके बदले में कंपनी उचित मूल्य दर से उनको महीने में तीन बार रुपये उनके खाते में जमा करती है. इसके अलावा समय-समय पर महिला पशुपालकों को नस्ल सुधार, गर्भ धरण व पशु प्रशिक्षण भी दिया जाता है. वहीं, कंपनी किसान महिलाओं को घी, पशु-आहार, पशुओं के लिए कैल्शियम, उच्च क्वालिटी चारा, बाजरा आदि उपलब्ध कराती है, ताकि दूध उत्पाद में बढ़ोतरी और आर्थिक मजबूती मिल सके.
लैब में होती है दूध की जांच. पांच जिलों में 600 सेंटर :राजस्थान के पांच जिलों में 600 मिल्क कलेक्शन सेंटर बनाए गए हैं. इन केंद्रों से प्रतिदिन 1 लाख लीटर से अधिक दूध कलेक्ट किए जाते हैं. उसके बाद लैब में जांच कर (Asha Mahila Milk Producer Company in Rajasthan) शुद्धता के साथ आगे अन्य कंपनियों में भेजा जाता है. वहीं, शिक्षा व पशुपालन के लिए कंपनी आशा महिलाओं को बैंक और अन्य विशेष संस्थाओं के माध्यम से उचित ब्याज दर पर लोन की सुविधा भी उपलब्ध कराती है, ताकि पशुधन और परिवार में शिक्षा को बढ़ावा मिल सके.
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