भोपाल।बारिश में सड़क किनारे पैदा होने वाले जिस खरपतवार को आमतौर पर नजर अंदाज कर दिया जाता है, लेकिन नजर अंदाज कर देने वाला यह पौधा मध्यप्रदेश के बालाघाट और इसके आसपास के आदिवासी इलाकों में यह आंख का तारा बना हुआ है. इस पौधे के बीज की चीन और वियतनाम में जमकर डिमांड है. बालाघाट के रहने वाले मकेन्द्र सतपुते पिछले दो साल में खरपतवार समझे जाने वाले चिरौटा के बीजों की 750 क्विंटल की खेप को चीन और वियतनाम में निर्यात कर चुके हैं. इसके बाद उन्हें हाल में चीन से 2000 मीट्रिक टन का और ऑर्डर मिला है.
चीन से मिला 2000 मीट्रिक टन का ऑर्डर: ईटीवी भारत से बातचीत में मकेन्द्र सतपुते बताते हैं कि "चिरौटा ऐसा खरपतवार है, जो आमतौर पर प्रदेश में सभी स्थानों पर पाया जाता है. बालाघाट जिले में बारिश के समय यह बड़ी मात्रा में पैदा होता है और दीपावली के समय इसकी फली पक जाती है. इस क्षेत्र के आदिवासी इनके पौधों को उखाडकर सड़क पर डाल देते हैं और गाड़ियों के निकलने से जब इनके बीज झड़ जाते हैं तो यह बीज को निकालकर मामूली दामों में बेच देते हैं. मैं पिछले कई सालों से चिरौटा को मध्यप्रदेश के कई इलाकों के अलावा, छत्तीसगढ़, उड़ीसा तक से खरीदता आ रहा हूं. पहले इसे खरीदकर गुजरात बेच देता था, लेकिन दो साल पहले लाइसेंस लिया और पिछले साल 750 क्विंटल की खेप चीन और वियतनाम निर्यात की. वे बताते हैं कि विदेश में यह 45 रुपए किलो के हिसाब से बिका. चीन में यहां के चिरौटा की क्वालिटी काफी पसंद आई है. उन्होंने 2000 मीट्रिक टन चिरौटा का और ऑर्डर भेजा है.