हैदराबाद :भारत की आजादी (Freedom of India) के इतिहास में क्रांतिकारियों (Revolutionary) की भी अहम भूमिका रही है. वहीं आज बाल गंगाधर तिलक की भी जयंती है. बता दें आज लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की 165वीं जयंती है, जिनका असली नाम केशव गंगाधर तिलक था. उनका जन्म 23 जुलाई, 1856 को महाराष्ट्र के रत्नागिरी में हुआ था, वह एक स्वतंत्रता सेनानी, सामाजिक विचारक, दार्शनिक और शिक्षक थे, उन्होंने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान लोकमान्य तिलक स्वराज्य के कट्टर समर्थक थे.
बाल गंगाधर तिलक की जयंती आज, जानिए कुछ रोचक बातें
भारत की आजादी के इतिहास में क्रांतिकारियों (Revolutionary) की भी अहम भूमिका रही है. वहीं आज बाल गंगाधर तिलक की भी जयंती है. बता दें आज लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की 165वीं जयंती है, जिनका असली नाम केशव गंगाधर तिलक था. उनका जन्म 23 जुलाई, 1856 को महाराष्ट्र के रत्नागिरी में हुआ था.
बाल गंगाधर तिलक
बाल गंगाधर तिलक के जीवन से जुड़े बाते
- 1876 में, उन्होंने पूना के डेक्कन कॉलेज से गणित और संस्कृत में स्नातक की उपाधि प्राप्त की थी. 1879 में, उन्होंने बॉम्बे विश्वविद्यालय (अब मुंबई) में कानून की पढ़ाई पूरी की थी. इसके अलावा, उन्होंने पूना के एक निजी स्कूल में गणित पढ़ाने का फैसला किया, जहाँ से उनका राजनीतिक जीवन शुरू हुआ.
- उन्होंने लोगों को विशेष रूप से अंग्रेजी भाषा में शिक्षित करने के लिए 1884 में डेक्कन एजुकेशन सोसाइटी की स्थापना की.
- स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान तिलक ने कई भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस नेताओं के साथ मिलकर काम किया. लोकमान्य तिलक, लाला लाजपत राय और बिपिन चंद्र पाल की तिकड़ी 'लाल बाल पाल' के नाम से प्रसिद्ध थी.
- उन्होंने मराठी में 'केसरी' ("द लायन") और अंग्रेजी में 'द महरत्ता' जैसे अखबारों के जरिए लोगों को जागरूक करना शुरू किया था.
- बाल गंगाधर तिलक द्वारा 1893 में गणेश और 1895 में शिवाजी नामक दो महत्वपूर्ण त्योहारों का भी आयोजन किया गया था.
- बाल गंगाधर तिलक 1890 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) में शामिल हुए और स्वशासन की शुरुआत की. भारत में उन्होंने स्वदेशी आंदोलन की शुरुआत की. जमशेद टाटा और तिलक ने मिलकर राष्ट्रीय आंदोलन को बढ़ावा देने के लिए बॉम्बे स्वदेशी स्टोर्स की स्थापना की.
- अप्रैल 1916 में, बाल गंगाधर तिलक ने स्वराज्य मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूँगा के नारे के साथ इंडियन होम रूल लीग की शुरुआत की. सितंबर 1916 में, एनी बेसेंट ने मद्रास (अब चेन्नई, तमिलनाडु) में होम रूल लीग की शुरुआत की.
लोकमान्य तिलक के प्रेरणादायी अनमोल विचार
- स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा.
- धर्म और व्यावहारिक जीवन अलग नहीं हैं. संन्यास लेना जीवन का परित्याग करना नहीं है. असली भावना सिर्फ अपने लिए काम करने की बजाए देश को अपना परिवार बनाकर मिल-जुलकर काम करना है. इसके बाद का कदम मानवता की सेवा करना है और अगला कदम ईश्वर की सेवा करना है.
- जीवन एक ताश के खेल की तरह है. सही पत्तों का चयन हमारे हाथ में नहीं है, लेकिन हमारी सफलता निर्धारित करने वाले पत्ते खेलना हाथ में है.
- अगर आप रुके और हर भौंकने वाले कुत्ते पर पत्थर फेंकेंगे तो आप कभी अपने गंतव्य तक नहीं पहुंचेंगे. बेहतर होगा कि हाथ में बिस्किट रखें और आगे बढ़ते जाएं.
- अगर भगवान अस्पृश्यता बर्दाश्त करता है तो मैं उसे भगवान नहीं कहूंगा.
- एक अच्छे अखबार के शब्द अपने आप बोल देते हैं.
- आपके विचार सही, लक्ष्य ईमानदार और प्रयास संवैधानिक हों तो मुझे पूर्ण विश्वास है कि आपकी सफलता निश्चित है.