कोलकाता: कलकत्ता उच्च न्यायालय ने एक ऐतिहासिक फैसले में 20 दिसंबर, 2018 को मुर्शिदाबाद के कांडी में एक अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश द्वारा आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई महिला को जमानत दे दी. महिला करीब साढ़े छह साल से सलाखों के पीछे है और उसकी अपील अदालत में लंबित है. नाजू बीबी उर्फ नर्जिना बीबी को मिठाइयों में ज़हर मिलाने और फिर उन्हें अपनी छह साल की सौतेली बेटी को परोसने के लिए दोषी ठहराया गया और सजा सुनाई गई. अस्पताल में बच्चे की मौत हो गई.
नाजू बीबी की ओर से पेश वकील फिरोज एडुल्जी ने शुक्रवार को न्यायमूर्ति अरिजीत बनर्जी और न्यायमूर्ति अपूर्ब सिन्हा रे की अदालत में कहा कि मुकदमे के दौरान गवाहों द्वारा दिए गए बयानों में कई विसंगतियां थीं. उन्होंने कहा कि उसकी अपील सुनवाई के लिए आने पर उनके मुवक्किल को बरी किए जाने की संभावना है. उन्होंने यह भी तर्क दिया कि अपील की सुनवाई होने तक नाजू बीबी को जेल में रखना अनुचित और अन्यायपूर्ण होगा. अपील की सुनवाई की तारीख अनिश्चित है.
एडुल्जी ने यह भी बताया कि यदि उनके मुवक्किल को अंततः बरी कर दिया जाता है, तो उसकी बेगुनाही के बावजूद उसे कई वर्षों तक जेल में रखकर उसके साथ किए गए अन्याय की भरपाई करने का कोई तरीका नहीं है.
राज्य की ओर से पेश अधिवक्ताओं ने दावा किया कि बयानों में विसंगतियां, जैसा कि एडुल्जी ने उल्लेख किया है, प्रकृति में मामूली थीं और किसी भी तरह से अपील अदालत के फैसले को प्रभावित नहीं करेंगी. उन्होंने नाजू बीबी की जमानत याचिका का विरोध किया और प्रार्थना की कि उन्हें अपील अदालत द्वारा मामले का निपटारा होने तक इंतजार कराया जाए. हालांकि उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने इसे अलग ढंग से देखा.