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लेटरल भर्ती में आरक्षण को लेकर संगठनों ने दी भारत बंद की चेतावनी - भारत बंद करने की चेतावनी दी है

भाजपा की अगुआई वाली केंद्र सरकार द्वारा विभिन्न मंत्रालयों में संयुक्त सचिव और निदेशक स्तर पर भर्ती करने की घोषणा के बाद, पिछड़े समुदायों का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठनों ने नई लेटरल भर्ती को लेकर विरोध में भारत बंद करने की चेतावनी दी है.

बंद करने की चेतावनी
बंद करने की चेतावनी

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Published : Feb 16, 2021, 9:24 PM IST

नई दिल्ली : भाजपा की अगुआई वाली केंद्र सरकार द्वारा विभिन्न मंत्रालयों में संयुक्त सचिव और निदेशक स्तर पर भर्ती करने की घोषणा के बाद, पिछड़े समुदायों का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठनों ने नई लेटरल भर्ती (lateral recruitment) को लेकर सरकार के खिलाफ विरोध शुरू कर दिया है. संगठनों का कहना है कि इसमें एससी, एसटी और ओबीसी सहित अन्य जातियों को कोई आरक्षण नहीं दिया गया है. संगठनों ने कहा कि वह विरोध में भारत बंद करेंगे.

यूपीएससी के छात्रों को होगा नुकसान

इसी सिलसिले में दिल्ली के जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन करते हुए, मिशन जय भीम के सदस्य, पुष्पेंद्र ने कहा, 'यूपीएससी की तैयारी करने वाले छात्रों को भारी झटका का सामना करना पड़ेगा, क्योंकि संयुक्त सचिव-स्तर के प्रतिष्ठित पद अब उन लोगों को दिए जाएंगे जो योग्य भी नहीं हैं.' उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार अब उन लोगों की भर्ती करेगी, जिन्होंने पद संभालने में उनकी मदद की.

लेटरल भर्ती में आरक्षण नहीं होने का विरोध

पदोन्नति नहीं होगी

वहीं मिशन जय भीम के अध्यक्ष सुभाष चंद ने कहा कि सरकारी नौकरियों में प्रथम श्रेणी कर्मचारियों की लेटरल भर्ती करना अच्छा नहीं है, क्योंकि उनके पास कोई और पदोन्नति नहीं होगी. पदोन्नति अब उन लोगों के लिए आरक्षित की जाएगी, जिन्हें पिछले दरवाजे से प्रवेश मिलता है.

उन्होंने कहा, 'सरकार लेटरल भर्ती करेगी, ऐसे में जो लोग राजनीति से प्रेरित हैं ऐसे में भर्ती पार्टी एजेंडा के अनुसार होगी.'

7 मार्च को करेंगे भारत बंद

इसी प्रकार मिशन जय भीम के महासचिव बीपी निगम ने कहा, 'अगर सरकार लेटरल भर्ती की नीति को वापस नहीं लेती है, तो हम 7 मार्च को भारत बंद का देशव्यापी आह्वान करेंगे.'

गौरतलब है कि सरकार ने हाल ही में, संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) द्वारा लेटरल भर्ती के माध्यम से प्रदेश सरकार के तीन संयुक्त सचिव और मंत्रालयों के निदेशकों के 27 पदों के लिए निजी क्षेत्र, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के अलावा राज्य सरकारों में काम करने वालों से आवेदन आमंत्रित किए हैं.

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विशेष रूप से, पिछड़ा वर्ग के राष्ट्रीय आयोग ने कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (DOPT) से उपरोक्त पदों में आरक्षण नहीं होने पर सवाल उठाया है. सूत्रों के अनुसार, इस मुद्दे पर डीओपीटी और एनसीबीसी अधिकारियों के बीच शुक्रवार को एक बैठक हुई थी और अधिकारियों ने उनके सवालों के जवाब देने के लिए एक सप्ताह का समय मांगा था.

नई भर्ती में कोई आरक्षण नीति नहीं : गोपाल यादव

इस संबंध में ईटीवी भारत से बात करते हुए, पिछले हफ्ते समाजवादी पार्टी के नेता राम गोपाल यादव ने कहा था कि इस नई भर्ती में कोई आरक्षण नीति नहीं है. उन्होंने कहा कि सरकार के नियमानुसार ओबीसी के लिए 27% आरक्षण, एससी के लिए 15% और एसटी के लिए 7.5% आरक्षण होना चाहिए.

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