नई दिल्ली : सांसद बाबुल सुप्रियो ने बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात के बाद कहा कि मैं आसनसोल सांसद के रूप में काम करना जारी रखूंगा. हालांकि राजनीति को अलविदा कह रहा हूं. उन्होंने कहा कि मैं किसी अन्य पार्टी में शामिल नहीं होऊंगा. मैं दिल्ली में एमपी का बंगला खाली करूंगा और सुरक्षाकर्मियों को उनकी ड्यूटी से जल्द विदा कर दूंगा.
इससे पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल के फेरबदल में मंत्री पद से हटाये जाने के कुछ दिनों बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता बाबुल सुप्रियो ने को कहा था कि उन्होंने राजनीति छोड़ने का फैसला किया है और वह एक सांसद के रूप में इस्तीफा दे देंगे.
सुप्रियो ने संकेत दिया था कि यह निर्णय आंशिक रूप से उन्होंने मंत्री पद जाने और भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई के नेतृत्व के साथ मतभेदों के कारण लिया है. सुप्रियो, जिन्होंने 2014 से नरेंद्र मोदी सरकार में केन्द्रीय राज्य मंत्री (एमओएस) के रूप में कई विभागों को संभाला था, को बीते महीने एक बड़े मंत्रिमंडल फेरबदल के दौरान हटा दिया गया था.
बीजेपी अध्यक्ष से मुलाकात के बाद बोले सुप्रियो राजनीति से अलविदा तब सुप्रियो ने फेसबुक पोस्ट में लिखा कि जा रहा हूं अलविदा. अपने माता-पिता, पत्नी, दोस्तों से बात की और उनकी सलाह सुनने के बाद मैं कह रहा हूं कि मैं जा रहा हूं. मैं किसी अन्य पार्टी में नहीं जा रहा हूं. तृणमूल कांग्रेस, कांग्रेस, माकपा, कहीं नहीं. मैं पुष्टि कर रहा हूं कि किसी ने मुझे फोन नहीं किया है. उन्होंने लिखा था कि मैं कहीं नहीं जा रहा हूं.
मैं एक टीम का खिलाड़ी हूं! हमेशा एक टीम मोहन बागान का समर्थन किया है. केवल एक पार्टी के साथ रहा हूं. भाजपा पश्चिम बंगाल. बस !! जा रहा हूं. उन्होंने लिखा कि मैं बहुत लंबे समय तक रहा हूं. मैंने किसी की मदद की है, किसी को निराश किया है, यह लोगों को तय करना है. सामाजिक कार्यों में शामिल होने के लिए, आप किसी भी राजनीति में शामिल हुए भी बिना ऐसा कर सकते हैं.
आसनसोल से दो बार के सांसद सुप्रियो उन कई मंत्रियों में शामिल हैं, जिन्हें सात जुलाई को एक बड़े फेरबदल के तहत केंद्रीय मंत्रिपरिषद् से हटा दिया गया था. पिछले विधानसभा चुनाव में उन्होंने तृणमूल कांग्रेस के अरूप बिस्वास के खिलाफ विधानसभा चुनाव लड़ा और उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. सुप्रियो और देबाश्री चौधरी दोनों को मंत्री पद से हटा दिया गया था. पश्चिम बंगाल के चार अन्य सांसदों- निशित प्रमाणिक, शांतनु ठाकुर, सुभाष सरकार और जॉन बारला को मंत्रिपरिषद् में राज्य मंत्री के रूप में शामिल किया गया.
उन्होंने लिखा कि लेकिन, मुझे एक सवाल का जवाब देना है क्योंकि यह प्रासंगिक है! सवाल यह है कि मैंने राजनीति क्यों छोड़ी? क्या इसका मंत्रालय छोड़ने से कोई लेना-देना है? हां, तो यह कुछ हद तक सही है. मैं दिखावा नहीं करना चाहता इसलिए मेरी तरफ से सवालों का जवाब देना सही होगा और इससे मुझे भी शांति मिलेगी. किसी का नाम लिए बगैर सुप्रियो ने कहा कि राज्य नेतृत्व के साथ मतभेद से भी मामलों में कोई मदद नहीं मिल रही है और पार्टी के स्तर पर गलत संदेश जा रहा है.
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उन्होंने कहा कि चुनावों से पहले, कुछ मुद्दों पर राज्य नेतृत्व के साथ असहमति थी. लेकिन कुछ मामले सार्वजनिक रूप से सामने आ रहे थे. कहीं मैं इसके लिए जिम्मेदार हूं (मैंने एक फेसबुक पोस्ट की जो पार्टी अनुशासन तोड़ने के समान है) और कहीं और अन्य नेता भी बहुत ज्यादा जिम्मेदार हैं, हालांकि मैं इसकी गहराई में नहीं जाना चाहता कि इसके लिए कौन जिम्मेदार है.