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पिंडारी हिमस्खलन में फंसे 13 अमेरिकी ट्रेकर्स, बाबा की कुटिया ने बचाई जान, SDRF टीम रेस्क्यू के लिए रवाना

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Published : Apr 22, 2023, 5:06 PM IST

उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में ट्रेकिंग पर गए 14 सदस्यीय अमेरिकी ट्रैकर दल पिंडारी हिमस्खलन में फंस गया. हालांकि, इन ट्रेकर्स की लोकेशन मिल चुकी है. एसडीआरएफ की टीम रेस्क्यू के रवाना हो चुकी है. वहीं, इन ट्रेकर्स ने एक बाबा की कुटिया में शरण ली है, जिसकी वजह से इन सबकी जान बची है.

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देहरादून:उत्तराखंड में साहसिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार ने कई नए ट्रैक इजाद किए हैं. बर्फबारी कम होने के बाद देश-विदेश से पर्यटक उत्तराखंड की वादियों में ट्रेकिंग करने के लिए पहुंचते हैं, लेकिन कभी-कभी मौसम इन ट्रेकर्स के रास्ते में बाधा बन जाता है. जिसकी वजह से कई बार ट्रेकर्स बड़े हादसों का शिकार भी हो जाते हैं. उत्तराखंड के पिंडारी ग्लेशियर में भी 14 सदस्य विदेशी पर्यटकों का दल फंसा हुआ है. जिनके रेस्क्यू के लिए एसडीआरएफ की टीम कल शाम रवाना हुई है. बताया जा रहा है करीब 24 घंटे बाद यह टीम उन तक पहुंचेगी, लेकिन राहत की बात यह है कि सभी ट्रेकर्स सुरक्षित हैं.

पिंडारी में फंसा अमेरिकी ट्रेकर्स का दल: बागेश्वर के पिंडारी ग्लेशियर में हिमस्खलन के कारण 13 विदेशी ट्रेकर्स और एक भारतीय गाइड का दल फंस गया. उनके रास्ते में एक विशालकाय हिमस्खलन होने से चारों तरफ बर्फ का पहाड़ सा खड़ा हो गया था. जिसकी वजह से पहले इस दल का कुछ पता नहीं चल पा रहा था. इस दल में 13 अमेरिकी और एक भारतीय गाइड शामिल है. बताया जा रहा है कि यह दल जीरो प्वाइंट पर फंसे हुए हैं. कल देर शाम इनकी लोकेशन ट्रेस की जा रही थी, जिसमें एसडीआरएफ की टीम ने सफलता मिली. एडीआरएफ ने बताया कि अमेरिकी ट्रेकर्स का दल पिंडारी ग्लेशियर स्थित एक बाबा की कुटिया के पास रुका हुआ है. जहां सभी पर्यटक सुरक्षित हैं.

20 अप्रैल को मिली थी ट्रेकर्स के फंसे होने की सूचना: सबसे पहले नेल्स इंडियन प्रोग्राम डायरेक्टर रानीखेत रवि कुमार और यूएसए एमएससी के सुरेश मदान ने 20 अप्रैल को उत्तराखंड सरकार को सभी के फंसे होने की सूचना दी थी. जिसके बाद से ही राहत और बचाव कार्य के लिए टीमें लगातार लोकेशन का पता कर रही थी. डीएम अनुराधा पाल की माने तो सभी अमेरिकी ट्रेकर्स सुरक्षित है. कल शाम उनकी लोकेशन के बारे में पता लगा था. फिलहाल हम इंतजार कर रहे हैं कि कब राहत और बचाव दल उन तक पहुंचेगा. हमने न केवल उन तक एक टीम भेजी है, बल्कि 1 डॉक्टरों की टीम, खाने-पीने का सामान और एंबुलेंस की टीम भी उस जगह पर लगा रखी है, जहां इन टैकर्स को रेस्क्यू कर लाया जाएगा.
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अमेरिकी ट्रेकर्स के रेस्क्यू के लिए टीम रवाना: हालांकि, अमेरिकी ट्रेकर्स दल की वास्तविक स्थिति क्या है, यह तभी मालूम होगा, जब टीम उन तक पहुंच जाएगी. फिलहाल हमारी जानकारी यही है कि सभी लोग सुरक्षित हैं. रेस्क्यू टीम के लिए हेलीकॉप्टर भेजना, इसलिए भी जरूरी नहीं था, क्योंकि सभी लोगों का पता लग चुका था. साथ ही मौसम भी लगातार खराब हो रहा था. इसलिए टीम ने कोई रिस्क नहीं लिया और वह पैदल ही सभी को रेस्क्यू करने के लिए निकल गए.

पहले भी हो चुके उत्तराखंड में हादसे: उत्तराखंड में इस तरह के हादसे पहले भी होते रहे हैं. साल 2022 अप्रैल के महीने में भी रुद्रप्रयाग में शेरा ट्रक पर 7 विदेशी पर्यटक फंस गए थे, जिन्हें बमुश्किल मद्महेश्वर से रेस्क्यू किया गया था. यह सभी लोग 2 दिनों से लापता थे, इसमें चार ट्रैकर और तीन सहयोगी शामिल थे. इसी तरह से साल 2021 अक्टूबर महीने में भी बागेश्वर के पिंडारी ग्लेशियर में 6 ट्रैकर लापता हो गए थे, यह सभी खराब मौसम होने की वजह से अपने रास्ते से भटक गए थे. इनमें एक व्यक्ति की मौत की सूचना भी रेस्क्यू के बाद आई थी.

केदारनाथ के रांसी में फंसे थे ट्रेकर्स: इसी तरह से अक्टूबर महीने में ही साल 2022 में केदारनाथ में रांसी ट्रैक पर दो ट्रैक्टरों की तबीयत खराब हो गई थी, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी. राहत और बचाव कार्य ने हेलीकॉप्टर के माध्यम से देखा था कि एक व्यक्ति बर्फ के बीचो बीच पड़ा हुआ था. बाद में एक की बॉडी और दूसरे व्यक्ति को सुरक्षित निकाला गया था. दरअसल उस वक्त यह 10 लोग एक साथ गए थे, लेकिन एक व्यक्ति की तबीयत खराब हो जाने की वजह से कुछ लोग नीचे आ गए थे और कुछ वहीं पर फंसे रह गए थे.

ट्रेकिंग पर जाने से पहले जान ले मौसम का हाल: उत्तराखंड में पहाड़ी राज्य होने की वजह से हर साल खराब मौसम और भूस्खलन की समस्या सामने आती रहती है. जिसकी वजह से कई बार ट्रेकर्स का दल इस तरह की मुसीबत में फंस जाते हैं. ऐसे में एसडीआरएफ, एनडीआरएफ और जिला प्रशासन के साथ-साथ राज्य सरकार भी सभी पर्वतारोहियों से अपील करती है कि वह खराब मौसम में जहां है, वहीं रुक जाएं और आगे का रास्ता तय न करें. अपने साथ खाने-पीने के सारे सामान और सेटेलाइट फोन रेडियो इत्यादि भी लेकर जाएं. जिस ट्रैक की सूचना आप प्रशासन को दे रहे हैं, उसी ट्रैक पर आप चलते रहे. सबसे बड़ी बात यात्रा शुरू करने से पहले अगले चार-पांच दिनों का मौसम अपडेट की जानकारी जरूर लेकर निकले.

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