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अयोध्या मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा से पहले कांची कामकोटि मठ के शंकराचार्य ने की बड़ी घोषणा, जानें क्या है उनकी योजना

TN mutt announces 40-day worship : तमिलनाडु के कांचीपुरम में कांची कामकोटि मठ ने घोषणा की है कि अयोध्या के राम मंदिर में आयोजित होने वाली प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को देखते हुए एक विशेष पूजा का आयोजन करेगा. यह पूजा 22 जनवरी से शुरू होकर 40 दिनों तक चलेगी. यह घोषणा कांग्रेस सहित प्रमुख विपक्षी दलों और चार शंकराचार्यों की ओर से 'प्राण प्रतिष्ठा' समारोह पर नाराजगी जताने के बाद की गई है.

TN mutt announces 40-day worship
विजयेंद्र सरस्वती स्वामीगल, कांची कामकोटि मठ के शंकराचार्य. (तस्वीर : ANI)

By ANI

Published : Jan 13, 2024, 7:27 AM IST

कांचीपुरम : अयोध्या के नव निर्मित राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा से पहले जमकर राजनीति हो रही है. सत्ता पक्ष यानी भारतीय जनता पार्टी और एनडीए गठबंधन से इसके समय को लेकर सवाल पूछे जा रहे हैं. वहीं भाजपा और एनडीए गठबंधन सहित 22 जनवरी की तारीख से सहमत लोग इसे राम विरोधी और ओछी राजनीति करार दे रहे हैं. कांग्रेस और इंडिया गठबंधन की कई पार्टियों के अलावा चार पीठों के शंकराचार्यों ने भी प्राण प्रतिष्ठा के समय को लेकर सवाल उठाये हैं.

उन्होंने प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम के बहिष्कार की भी घोषणा की है. इस बीच उत्तर तमिलनाडु स्थित कांचीपुरम में कांची कामकोटि मठ ने एक घोषणा की है. पीठ के शंकराचार्य विजयेंद्र सारस्वत स्वामीगल ने कहा कि तमिलनाडु के कांचीपुरम में कांची कामकोटि मठ काशी में यज्ञशाला मंदिर शहर में 22 जनवरी के कार्यक्रम को देखते हुए 40 दिवसीय पूजा कार्यक्रम आयोजित करेगी.

यह विशेष पूजा 22 जनवरी को 'प्राण प्रतिष्ठा' के शुरू साथ होगी और 40 दिनों तक चलेगी. कांची कामकोटि मठ के शंकराचार्य ने कहा कि भगवान राम के आशीर्वाद से, अयोध्या में 'प्राण प्रतिष्ठा' समारोह 22 जनवरी को होगा. हमारी काशी स्थित यज्ञशाला भी भव्य आयोजन के साथ 40 दिनों तक विशेष पूजा करेगी. उन्होंने कहा कि पूजा लक्ष्मी कांत दीक्षित सहित वैदिक बुद्धिजीवियों का मार्गदर्शन में आयोजित होगी.

मठ की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक, पूजा प्राण प्रतिष्ठा दिवस यानी 22 जनवरी से शुरू होगी. 40 दिनों तक 100 से अधिक विद्वान यज्ञशाला में 'पूजा' और 'हवन' करेंगे. मठ के शंकराचार्य ने एक बयान में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश भर के तीर्थ स्थलों और परिसरों के विकास पर जोर दे रहे हैं. उनके नेतृत्व में केदारनाथ और काशी विश्वनाथ मंदिरों का विस्तार किया गया है. 'यज्ञशाला' का उपयोग 'हवन' सहित कई प्रकार के वैदिक अनुष्ठान करने के लिए किया जाता है.

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