नई दिल्ली : कोरोना महामारी की तीसरी लहर के डर के बीच कोरोना के डेल्टा एवाई.4.2 वेरिएंट ने देश में वैज्ञानिकों और शिक्षाविदों के बीच खतरे की घंटी बजा दी है. कोरोना के डेल्टा एवाई.4.2 वेरिएंट ने यूके, चीन और रूस में पाया गया है. वहीं भारत के कई राज्यों में भी डेल्टा एवाई.4.2 वेरिएंट के केस मिले हैं, जिसमें आंध्र प्रदेश, केरल, कर्नाटक, तेलंगाना, जम्मू और कश्मीर और महाराष्ट्र शामिल हैं.
डेल्टा एवाई.4.2 वेरिएंट बढ़ते मामलों के मद्देनजर स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सतर्क रहने के लिए कहा है.
देश में अब तक डेल्टा AY.4.2 वेरिएंट के 17 मामले मिले हैं. आंध्र प्रदेश में 7, केरल में 4, कर्नाटक में 2, तेलंगाना में 2, जम्मू-कश्मीर और महाराष्ट्र में 1-1 पाए गए हैं. आईसीएमआर के वैज्ञानिक डॉ लोकेश ने कहा कि देश में इस AY.4.2 वेरिएंट की जांच चल रही है. यह अधिक पारगम्य (transmissible) लगता है, लेकिन घातक नहीं हो सकता है.
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) और नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (NCDC) के सदस्यों की एक टीम इस वैरिएंट की जांच कर रही है.
इस मामले पर इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (आईजीआईबी) के निदेशक डॉ अनुराग अग्रवाल ने ईटीवी भारत से खास बात की. इस दौरान उन्होंने कहा कि मौजूदा साक्ष्यों के आधार पर यह पाया गया है कि वर्तमान में कोरोना का यह वेरिएंट चिंता का विषय नहीं है.
अग्रवाल ने कहा कि हम आगे की जांच और अध्ययन के बाद इस नए वेरिएंट के बारे में और कुछ कह सकते हैं.
भारतीय SARS-CoV2-Genomic Consortia ने अपने नवीनतम बुलेटिन में कहा कि देश में डेल्टा की अधिक विविधता के कारण, पैंगो वर्गीकरण कभी-कभी गलत हो सकता है, विशेष रूप से नए सब लिनीइज के लिए.
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पैंगो वर्गीकरण को अनुक्रमों के एक समूह के रूप में वर्णित किया गया है, जो महामारी विज्ञान की घटना से जुड़े हैं. SARS-CoV-2 वायरस के संचरण और प्रसार को ट्रैक करने के लिए शोधकर्ता और सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ पैंगो का उपयोग करते हैं.
एशियन सोसाइटी ऑफ इमरजेंसी मेडिसिन के अध्यक्ष डॉ तामोरिश कोले ने कहा कि आंध्र प्रदेश में डेल्टा एवाई.4.2 वेरिएंट के सात मामले पाए गए हैं, डेल्टा एवाई.4.2 वेरिएंट मामलों ने यूके, रूस और चीन में पाए गए हैं. उन्होंने कहा कि डेल्टा के इस ऑफशूट या सब लिनीइज में स्पाइक प्रोटीन को प्रभावित करने वाले कुछ नए उत्परिवर्तन शामिल हैं, जिसका उपयोग वायरस हमारी कोशिकाओं में प्रवेश करने के लिए करता है.
डॉ कोले ने कहा कि अब तक, इस बात का संकेत है कि इन परिवर्तनों के परिणामस्वरूप यह वेरिएंट तेजी से फैल सकता है, लेकिन अध्ययन जारी है. उन्होंने कहा कि घबराने की कोई बात नहीं है, अगर हम कोविड से बचाव अनुकूल व्यवहार करेंगे तो उसको हम हम आगे फैलने नहीं देंगे.