नई दिल्ली: भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद ने हल्के बुखार और वायरल ब्रोंकाइटिस जैसी स्थितियों के लिए एंटीबायोटिक दवाओं के उपयोग के खिलाफ दिशा-निर्देश जारी किए हैं. आईसीएमआर के दिशानिर्देशों में कहा गया है कि एंटीबायोटिक्स के इस्तेमाल के समय को भी निर्धारित किया जाना चाहिए. आईसीएमआर ने गंभीर रूप से बीमार रोगियों के लिए अनुभवजन्य एंटीबायोटिक चिकित्सा को सीमित करने की बात कही.
एक जनवरी से 31 दिसंबर, 2021 के बीच किए गए एक ICMR सर्वेक्षण ने सुझाव दिया था कि भारत में रोगियों का एक बड़ा हिस्सा कार्बापेनेम के उपयोग से लाभान्वित नहीं हो सकता है, जो मुख्य रूप से निमोनिया और सेप्टीसीमिया आदि के उपचार के लिए आईसीयू सेटिंग्स में दिया जाने वाला एक शक्तिशाली एंटीबायोटिक है. क्योंकि उन्होंने इसके लिए एंटी-माइक्रोबियल प्रतिरोध विकसित कर लिया है. डेटा के विश्लेषण ने दवा प्रतिरोधी रोगजनकों में निरंतर वृद्धि की ओर इशारा किया, जिसके परिणामस्वरूप उपलब्ध दवाओं के साथ कुछ संक्रमणों का इलाज करना मुश्किल हो गया.
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इमिपेनेम का प्रतिरोध, जिसका उपयोग ई कोलाई बैक्टीरिया के कारण होने वाले संक्रमणों के इलाज के लिए किया जाता है, 2016 में 14 प्रतिशत से बढ़कर 2021 में 36 प्रतिशत हो गया. विशिष्ट एंटीबायोटिक दवाओं के लिए बैक्टीरिया की संवेदनशीलता कम होने की प्रवृत्ति भी क्लेबसिएला न्यूमोनिया के साथ देखी गई. जो 2016 में 65 प्रतिशत से गिरकर 2020 में 45 प्रतिशत हो गया और 2021 में 43 प्रतिशत हो गया.
इससे ई कोलाई और के न्यूमोनिया के कार्बापेनेम प्रतिरोध आइसोलेट्स अन्य रोगाणुरोधकों के लिए भी प्रतिरोधी हैं, जिससे कार्बापेनेम-प्रतिरोधी संक्रमणों का इलाज करना बहुत चुनौतीपूर्ण हो जाता है. शनिवार को आईसीएमआर (ICMR) ने एंटीबायोटिक दवाइयों के सही तरीके से इस्तेमाल को लेकर निदा-निर्देश जारी की है. गाइडलाइन में सिलसिलेवार तरीके से यह बताया गया है कि एंटीबायोटिक्स दवाइयों का इस्तेमाल कहां करना है और कहां नहीं. गाइडलाइंस में खासतौर पर डॉक्टर्स के लिए सलाह है कि किस आधार पर एंटीबायोटिक दवाइयों का इस्तेमाल किया जाए.
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यह रिपोर्ट इसलिए भी जारी करनी पड़ रही है क्योंकि भारत में सबसे ज्यादा एंटीबायोटिक्स दवाइयों के दुरुपयोग का आरोप लगता रहा है. भारत के अस्पतालों में भर्ती कई गंभीर मरीजों की जान केवल इसलिए जा रही है क्योंकि गंभीर इंफेक्शन के केस में उन पर कोई एंटीबायोटिक दवा काम नहीं कर पा रही. दवाइयों के बेअसर होने और सुपरबग्स यानी बैक्टीरिया के ताकतवर होते जाने के सिलसिले में लोग जान गंवा रहे हैं. आइए जानते हैं ICMR की नई गाइडलाइन डॉक्टरों के लिए क्या है.
डॉक्टरों दवाइयां लिखते वक्त क्या करें?:केवल बुखार, रेडियोलॉजी रिपोर्ट्स, व्हाइट ब्लड सेल्स काउंट के आधार पर यह तय न करें कि एंटीबायोटिक्स दवाइयां देनी जरूरी हैं. सबसे पहले संक्रमण को पहचानें. इस बात को चेक करें कि लक्षण असल में इंफेक्शन के हैं या ऐसा केवल लग रहा है. यह भी चेक करें कि क्या संक्रमण की पुष्टि के लिए कल्चर रिपोर्ट करवाई गई है या नहीं.