औरंगाबाद: केंद्र सरकार ने शुक्रवार को दो शहरों के नाम बदलने को हरी झंडी दे दी, जिसकी कई वर्षों से मांग की जा रही थी. इससे औरंगाबाद का नाम अब छत्रपति संभाजीनगर और उस्मानाबाद का नाम अब धाराशिव हो गया है. लेकिन इसमें शब्दों के खेल को लेकर सवाल खड़ा हो गया है कि क्या शहर का नाम बदला गया है या पूरे जिले का.
केंद्र सरकार द्वारा जारी परिपत्र के अनुसार औरंगाबाद शहर का नाम बदलकर छत्रपति संभाजीनगर कर दिया गया है. इसमें जिला औरंगाबाद का उल्लेख है. ऐसे में केंद्र सरकार द्वारा लिए गए फैसले को लेकर कई सवाल उठे हैं. भ्रम की स्थिति पैदा हो गई है कि इसमें दिया गया नाम औरंगाबाद शहर तक ही सीमित है या पूरे जिले का नाम बदल दिया गया है.
केंद्र सरकार द्वारा औरंगाबाद का नाम बदलकर छत्रपति संभाजीनगर करने के फैसले के बाद पूरे जिले में खुशी का माहौल है. शिवसेना नेता व पालक मंत्री संदीपन भुमरे व भाजपा विधायक व कैबिनेट मंत्री अतुल सावे ने टीवी सेंटर क्षेत्र में कार्यकर्ताओं का उत्साहवर्धन किया. उधर, उद्धव गुट के नेताओं ने बाला साहेब का सपना पूरा होने की भावना जताई. शिवसेना प्रमुख दिवंगत बालासाहेब ठाकरे की घोषणा के लगभग 35 साल बाद केंद्र ने नामकरण के मुद्दे पर अपनी पहली घोषणा की. बीजेपी, शिवसेना और ठाकरे गुट ने इस पर खुशी जताई है.
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बालासाहेब ठाकरे ने 9 मई 1988 को संभाजीनगर नाम की घोषणा की थी. दो बार शिवसेना के मेयर ने नगर निगम से यह प्रस्ताव भेजा था. पर इस ओर किसी का ध्यान नहीं गया. उद्धव ठाकरे ने महाविकास अघाड़ी सरकार के दौरान औरंगाबाद संभाजीनगर का नाम बदलने का फैसला किया था. विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष अंबादास दानवे ने कहा कि मैं इसके लिए केंद्र सरकार को बधाई और धन्यवाद देता हूं. इसका श्रेय केवल शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे को ही जाता है.