छत्रपति संभाजीनगर: जी20 शिखर सम्मेलन का आयोजन नई दिल्ली में किया गया है. विश्व स्तर पर मशहूर महाराष्ट्र के औरंगाबाद की पैठनी साड़ी और कोल्हापुरी चप्पल की ब्रांडिंग इसमें की जा रही है. इससे इन उद्दोगों को बढ़ावा मिलेगा. इससे पहले शहर में आयोजित जी-20 सम्मेलन में भी पैठनी को मुख्य आकर्षण के रूप में रखा गया था. 20 देशों से आए अतिथियों का स्वागत पैठनी साड़ी फेटा के साथ हिमरू शॉल पहनाकर किया गया. कोल्हापुरी चप्पल भी देश में मशहूर है.
पैठनी साड़ी में क्या है खास:विश्व प्रसिद्ध पैठनी का महत्व प्राचीन काल से ही है. पैठनी साड़ी औरंगाबाद जिले के पैठन तालुका में हथकरघा पर बनाया गया एक परिधान है. एक पैठनी साड़ी बनाने में एक शिल्पकार को कई महीनों की मेहनत लगती है. यह पैठनी थ्रेड मशीन पर धागे को जोड़कर बनाई जाती है. इसे रेशमी कपड़े के नाम से भी जाना जाता है. पैठनी की खास बात यह है कि हालांकि यह एक हाथ से बना परिधान है जिसके पीछे एक ही धागा होता है, लेकिन इसकी कढ़ाई सभी के आकर्षण का केंद्र होती थी. पैठनी शुद्ध रेशम और सोने की जरी में बुने हुए अपने समृद्ध, जीवंत रंगों के लिए प्रसिद्ध है. पैठनी साड़ी के काठ (बॉर्डर) और पाडर या पल्लू (अंतिम टुकड़े) में मोर, तोते और कमल सहित पारंपरिक रूपांकन होते हैं जो इसे अलग बनाते हैं.
पैठनी लेना हर महिला का सपना होता था. लेकिन इसे लेना हर किसी के बस की बात नहीं थी. इस पैठनी को पहनने वाली महिला को शाही परिवार से माना जाता था. इस पैठनी के रूप में कई बदलाव हुए. इसलिए पैठनी कई लोगों की पहुंच में आ गई. विश्व में कहीं भी महावस्त्र का उत्पादन नहीं होता केवल महाराष्ट्र में ही यह होता है. इस पैठनी की ब्रांडिंग अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर की जा रही है.