नई दिल्ली : राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता मोहम्मद फैजल ने केरल उच्च न्यायालय (Kerala High Court) के उस आदेश को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) का रुख किया है, जिसमें हत्या के प्रयास के एक मामले में उनकी दोषसिद्धि निलंबित करने के अनुरोध वाली उनकी याचिका खारिज कर दी गई थी. इसके परिणामस्वरूप फैजल को इस साल दूसरी बार लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया गया है. उच्च न्यायालय के तीन अक्टूबर के आदेश के बाद बुधवार को उन्हें लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया गया. फैजल लोकसभा में लक्षद्वीप का प्रतिनिधित्व करते थे.
लोकसभा सचिवालय द्वारा जारी एक बुलेटिन में कहा गया, 'केरल उच्च न्यायालय के 03 अक्टूबर 2023 के आदेश के मद्देनजर केंद्रशासित प्रदेश लक्षद्वीप के लक्षद्वीप संसदीय क्षेत्र के सांसद मोहम्मद फैजल पीपी को लोकसभा की सदस्यता से उनकी दोषसिद्धि की तिथि, 11 जनवरी, 2023 से अयोग्य घोषित किया जाता है.' उच्च न्यायालय ने फैजल की दोषसिद्धि को निलंबित करने से इनकार करते हुए मामले में उन्हें और तीन अन्य को दी गई 10 साल की सजा को हालांकि निलंबित कर दिया था.
लक्षद्वीप की एक सत्र अदालत ने 2009 के लोकसभा चुनाव के दौरान दिवंगत केंद्रीय मंत्री पी एम सईद के दामाद मोहम्मद सलीह की हत्या के प्रयास के लिए 11 जनवरी को फैजल और तीन अन्य को सजा सुनाई थी. शीर्ष अदालत में दायर अपनी याचिका में, फैजल ने दावा किया है कि उच्च न्यायालय यह समझने में विफल रहा है कि भारतीय दंड संहिता की धारा 307 के तहत हत्या के प्रयास के अपराध के लिए उसकी दोषसिद्धि और सजा के कारण, 'याचिकाकर्ता का पूरा करियर बर्बाद हो जाएगा.'
उनकी याचिका में कहा गया है कि जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8(3) एक व्यापक अवधि की और कठोर अयोग्यता लगाती है, जो दोषसिद्धि की तारीख से शुरू होती है और रिहाई के बाद छह साल तक रहती है. याचिका में कहा गया, 'याचिकाकर्ता उस अवधि के लिए भी अयोग्य रहेगा, जिस दौरान अपील लंबित रहेगी. याचिकाकर्ता पर परिणाम अपरिवर्तनीय और कठोर होंगे.' इसमें दावा किया गया कि उच्च न्यायालय इस बात को समझने में विफल रहा कि यदि फैजल की सजा को निलंबित नहीं किया गया तो केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप के मतदाताओं को भी घोर पूर्वाग्रह और कठिनाई का सामना करना पड़ेगा.