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Attempt To Murder Case: लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहराए गए फैजल ने SC का रुख किया - Supreme Court

राकांपा नेता मोहम्मद फैसल ने केरल हाई कोर्ट (Kerala High Court) द्वारा हत्या के प्रयास के एक मामले में दोषसिद्धि निलंबित करने की याचिका खारिज किए जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का रुख किया है.

Supreme Court
उच्चतम न्यायालय

By PTI

Published : Oct 5, 2023, 9:15 PM IST

नई दिल्ली : राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता मोहम्मद फैजल ने केरल उच्च न्यायालय (Kerala High Court) के उस आदेश को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) का रुख किया है, जिसमें हत्या के प्रयास के एक मामले में उनकी दोषसिद्धि निलंबित करने के अनुरोध वाली उनकी याचिका खारिज कर दी गई थी. इसके परिणामस्वरूप फैजल को इस साल दूसरी बार लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया गया है. उच्च न्यायालय के तीन अक्टूबर के आदेश के बाद बुधवार को उन्हें लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया गया. फैजल लोकसभा में लक्षद्वीप का प्रतिनिधित्व करते थे.

लोकसभा सचिवालय द्वारा जारी एक बुलेटिन में कहा गया, 'केरल उच्च न्यायालय के 03 अक्टूबर 2023 के आदेश के मद्देनजर केंद्रशासित प्रदेश लक्षद्वीप के लक्षद्वीप संसदीय क्षेत्र के सांसद मोहम्मद फैजल पीपी को लोकसभा की सदस्यता से उनकी दोषसिद्धि की तिथि, 11 जनवरी, 2023 से अयोग्य घोषित किया जाता है.' उच्च न्यायालय ने फैजल की दोषसिद्धि को निलंबित करने से इनकार करते हुए मामले में उन्हें और तीन अन्य को दी गई 10 साल की सजा को हालांकि निलंबित कर दिया था.

लक्षद्वीप की एक सत्र अदालत ने 2009 के लोकसभा चुनाव के दौरान दिवंगत केंद्रीय मंत्री पी एम सईद के दामाद मोहम्मद सलीह की हत्या के प्रयास के लिए 11 जनवरी को फैजल और तीन अन्य को सजा सुनाई थी. शीर्ष अदालत में दायर अपनी याचिका में, फैजल ने दावा किया है कि उच्च न्यायालय यह समझने में विफल रहा है कि भारतीय दंड संहिता की धारा 307 के तहत हत्या के प्रयास के अपराध के लिए उसकी दोषसिद्धि और सजा के कारण, 'याचिकाकर्ता का पूरा करियर बर्बाद हो जाएगा.'

उनकी याचिका में कहा गया है कि जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8(3) एक व्यापक अवधि की और कठोर अयोग्यता लगाती है, जो दोषसिद्धि की तारीख से शुरू होती है और रिहाई के बाद छह साल तक रहती है. याचिका में कहा गया, 'याचिकाकर्ता उस अवधि के लिए भी अयोग्य रहेगा, जिस दौरान अपील लंबित रहेगी. याचिकाकर्ता पर परिणाम अपरिवर्तनीय और कठोर होंगे.' इसमें दावा किया गया कि उच्च न्यायालय इस बात को समझने में विफल रहा कि यदि फैजल की सजा को निलंबित नहीं किया गया तो केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप के मतदाताओं को भी घोर पूर्वाग्रह और कठिनाई का सामना करना पड़ेगा.

याचिका में कहा गया है कि उच्च न्यायालय यह समझने में भी विफल रहा कि 16 अप्रैल, 2009 की घटना स्पष्ट रूप से एक राजनीतिक विवाद थी क्योंकि वह राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) से थे, जबकि शिकायतकर्ता सहित चार चश्मदीदों की निष्ठा कांग्रेस के प्रति थी. इसमें कहा गया है, 'इस मामले में कोई स्वतंत्र गवाह नहीं है, जबकि कथित घटना शाम 5-5.30 बजे के बीच खुले में हुई थी.' अंतरिम राहत के लिए अपनी याचिका में फैजल ने याचिका के लंबित रहने के दौरान दोषसिद्धि पर रोक लगाने का अनुरोध किया है.

फैजल की दोषसिद्धि को निलंबित करने की याचिका खारिज करते हुए उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि चुनाव प्रक्रिया का अपराधीकरण भारत की लोकतांत्रिक राजनीति में गंभीर चिंता का विषय है. फैजल ने इससे पहले निचली अदालत के आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय का रुख किया था और उच्च न्यायालय ने 25 जनवरी को उनकी दोषसिद्धि और सजा को निलंबित कर दिया था. उच्च न्यायालय के 25 जनवरी के फैसले को लक्षद्वीप प्रशासन ने शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी.

उच्च न्यायालय के दृष्टिकोण को त्रुटिपूर्ण बताते हुए, शीर्ष अदालत ने 22 अगस्त को फैजल की दोषसिद्धि को निलंबित करने के उसके फैसले को रद्द कर दिया था, लेकिन अपने आदेश के कार्यान्वयन को छह सप्ताह के लिए स्थगित रखते हुए उन्हें तत्काल अयोग्य होने से बचा दिया था. इसने मामले को वापस उच्च न्यायालय में भेज दिया था और इस अवधि के भीतर उनकी दोषसिद्धि पर रोक लगाने के अनुरोध वाले उनके आवेदन पर नए सिरे से निर्णय लेने को कहा था.

इससे पहले फैजल को 25 जनवरी को लोकसभा सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया था. फैजल एवं तीन अन्य को कावारत्ती की एक सत्र अदालत द्वारा सलीह की हत्या के प्रयास के आरोप में दोषी ठहराए जाने और चारों को 10 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाये जाने के बाद फैजल को संसद की सदस्यता से अयोग्य घोषित किया गया था. उच्च न्यायालय द्वारा मामले में उनकी दोषसिद्धि और सजा को निलंबित करने के बाद 29 मार्च को फैजल की अयोग्यता रद्द कर दी गई थी.

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