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11 साल की उम्र में हैदराबाद की इस लड़की ने नासा और इसरो से पाई प्रशंसा, बनना चाहती है खगोल वैज्ञानिक - girl from Hyderabad got praise from NASA

तेलंगाना के हैदराबाद की एक 11 साल की लड़की ने खगोलीय शोध और क्षुद्रगहों पर शोध के लिए इसरो और नासा से प्रशंसा प्राप्त की है. यह लड़की बड़ी होकर वैज्ञानिक के तौर पर इसरो और नासा में अपनी सेवाएं देना चाहती है. इसके साथ ही वह कला के क्षेत्र में भी अपना श्रेष्ठ प्रदर्शन दे रही है. Astronomical research, girl from Hyderabad got praise from NASA.

11 year old astronomer
11 साल की खगोल वैज्ञानिक

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 13, 2023, 6:32 PM IST

हैदराबाद: 11 साल की एक लड़की खगोलीय शोध कर रही है और क्षुद्रग्रहों पर शोध कर रही है. 5 साल की उम्र से ही वह भारतीय शास्त्रीय कला में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रही है और पदक जीत रही है. इसके साथ ही वह इसरो और नासा में वैज्ञानिक के रूप में सेवा देने के लिए भी तैयारी कर रही है. इस 11 साल की लड़की का सारा शोध अंतरिक्ष पर है.

वह अपनी बहन की प्रेरणा से खगोलीय शोध कर रही हैं और उसे कई सफलताएं भी मिली हैं. अतीत में, उसने अपनी बहन के साथ एक क्षुद्रग्रह को खोजा और नासा प्रमाणपत्र प्राप्त किया. लड़की का नाम पल्लम सिद्दीक्षा है और वह खगोल विज्ञान पर शोध कर रही है. वह हैदराबाद के उपनगर अब्दुल्लापुरमेट की रहने वाली है. उसकी मां चैतन्य विजया स्कूल ऑफ बिजनेस मैनेजमेंट की प्रिंसिपल हैं.

उसके पिता विजय शेयर बाजार में कारोबार करते हैं. उनकी दोनों बेटियां खगोल विज्ञान और क्षुद्रग्रहों पर नज़र रखने पर शोध कर रही हैं और नासा और इसरो से प्रशंसा पा रही हैं. सिद्दीक्षा और उनकी बड़ी बहन श्रिया को 2018 में नासा द्वारा आयोजित 'साइंटिस्ट फॉर ए डे' प्रतियोगिता में प्रशंसा प्रमाण पत्र मिला. छह साल की उम्र में सिद्दीक्षा अपनी बड़ी बहन से प्रेरित हुई और उसमें खगोल विज्ञान के प्रति जुनून पैदा हो गई.

उसे स्पेसपोर्ट इंडिया फाउंडेशन, दिल्ली के संस्थापक समीर सचदेवा द्वारा खगोल विज्ञान और अंतरिक्ष विषयों पर प्रशिक्षित किया गया. साल 2020 में, उसने नासा की 'इंटरनेशनल ऑब्जर्व द मून नाइट' प्रतियोगिता में भाग लिया और प्रतिभा दिखाई. सिद्दीक्षा ने श्रिया के साथ क्षुद्रग्रह 2021 GC103 की खोज की थी और 2021 में आईएएससी के तहत क्षुद्रग्रह खोज अभियान में नासा द्वारा प्रमाणित किया गया था.

पिछले साल सितंबर और अक्टूबर में आयोजित क्षुद्रग्रह खोज अभियान में, सिद्दीक्षा ने पैन स्टार्स टेलीस्कोप की तस्वीरों का विश्लेषण करके मंगल और बृहस्पति ग्रहों के बीच मुख्य बेल्ट क्षुद्रग्रह में एक क्षुद्रग्रह पाया. इसे 2022SD66 नाम दिया गया है. सिद्दीक्षा 30 अक्टूबर को पेरिस में आयोजित इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉमिकल यूनियन में नासा के वर्ल्ड माइनर बॉडी कैटलॉग का भी हिस्सा बनीं.

सिद्दीक्षा और श्रिया के रिश्तेदार स्वातिमोहन जो नासा में वैज्ञानिक के पद पर कार्यरत हैं. 2010 में उन्होंने मंगल मिशन का नेतृत्व किया था. मंगल ग्रह पर रोवर की सफल लैंडिंग ने उनका नाम दुनिया भर में मशहूर कर दिया. चूंकि घर में अक्सर स्वातिमोहन के बारे में चर्चा होती थी, इसलिए दोनों बहनों की रुचि इस दिशा में बढ़ती चली गई. उन्होंने उस समय खगोल विज्ञान के बारे में जानना शुरू किया.

खगोलीय अनुसंधान में क्षुद्रग्रहों की उपस्थिति का पता लगाने में सिद्दीक्षा के काम को मान्यता देते हुए, टेक्सास हार्डिन-सीमन्स विश्वविद्यालय के साथ अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय अनुसंधान सहयोग-एआईएससी ने उसे एक प्रमाण पत्र से सम्मानित किया. सिद्धिक्षा वैज्ञानिक रूप से ब्रह्मांड में कई खगोलीय पिंडों के निर्माण, विखंडन, अस्तित्व, गुणों और विनाश की व्याख्या करती है.

अपने माता-पिता के प्रोत्साहन से सिद्दीक्षा खगोल विज्ञान में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रही है. उसने भारतीय नृत्य शैली कुचिपुड़ी और संगीत भी सीखा है. उसने देश में, विशेषकर तेलुगु राज्यों में 40 से अधिक नृत्य प्रस्तुतियां दी हैं और मशहूर हस्तियों से प्रशंसा प्राप्त की है. सिद्दीक्षा का कहना है कि उसका लक्ष्य अंतरिक्ष वैज्ञानिक बनकर नासा और इसरो में सेवा देना है.

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