नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि नियमित जमानत संबंधी याचिका के सूचीबद्ध नहीं होने से हिरासत में बंद व्यक्ति की स्वतंत्रता प्रभावित होती है. न्यायालय ने इसके साथ ही जोर दिया कि मौजूदा कोविड-19 महामारी के बीच कम से कम आधे न्यायाधीशों को वैकल्पिक दिनों में बैठना चाहिए ताकि संकट में फंसे लोगों की सुनवाई हो सके.
उच्चतम न्यायालय ने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में दायर एक जमानत याचिका के एक साल से भी अधिक समय तक सुनवाई के लिए सूचीबद्ध नहीं किए जाने पर हैरत जताते हुए कहा कि सुनवाई से इनकार करना किसी आरोपी के अधिकार और स्वतंत्रता का हनन है.
न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यम की अवकाशकालीन पीठ ने कहा कि इस महामारी के दौरान भी, जब सभी अदालतें सभी मामलों की सुनवाई करने और फैसला करने का प्रयास कर रही हैं, जमानत के लिए इस प्रकार के किसी आवेदन के सूचीबद्ध नहीं होने से न्याय मुहैया कराने का मकसद नाकाम होता है.