विजयनगरम : शांतम्मा 95 साल की है. इस उम्र में घुटने का दर्द सामान्य है. उनके दोनों घुटनों का ऑपरेशन हो चुका है. वह बैसाखी के सहारे चलती हैं. 95 वर्षीय शांतम्मा विजयनगरम स्थित सेंचुरियन विश्वविद्यालय में पढ़ातीं हैं. यहां प्रोफेसर शांतम्मा मेडिकल फिजिक्स, रेडियोलॉजी, एनेस्थीसिया जैसे विषय पढ़ातीं हैं. एवीएन कॉलेज से इंटर करने के बाद आंध्र विश्वविद्यालय से ऑनर्स और एमएससी पूरी की. 1947 में वह आंध्र विश्वविद्यालय में लेक्चरर के रूप में नियुक्त हुई. तब से शांतम्मा का अध्यापन और शोध लगातार जारी है.
शांतम्मा ब्रिटिश रॉयल सोसाइटी के प्रोफेसरों के अंदर डॉक्टर ऑफ साइंस करने वाली पहली महिला बनी. डॉ. रंगधामा राव, जिन्होंने प्रयोगशालाओं का विकास किया और स्पेक्ट्रोस्कोपी में उल्लेखनीय शोध किए, के मार्गदर्शन में शोध किया. शांतम्मा ने लेजर तकनीक, पेट्रोल में अशुद्धियों का पता लगाने जैसी कई परियोजनाओं में शोध किया है. कई शोध पत्र प्रकाशित हुए. अमेरिका, ब्रिटेन और दक्षिण कोरिया के कई विश्वविद्यालयों ने शांतम्मा को उनके अनुभवों के बारे में जानने के लिए आमंत्रित किया है. शांतम्मा के मार्गदर्शन में 17 लोगों ने अपनी पीएचडी पूरी की है. यद्यपि वह 1989 में भौतिकी विभाग के प्रोफेसर के रूप में सेवानिवृत्त हो चुकी हैं. लेकिन शांतम्मा अब भी छात्रों को पढ़ा रही हैं. तत्कालीन एयू वीसी सिम्हाद्री ने उन्हें मानदेय पर प्रोफेसर के रूप में जारी रखा. जीएसएन राजू, जिन्होंने उनके बाद पदभार संभाला, ने भी शांतम्मा को प्रोफेसर के रूप में जारी रखा. खास बात यह है कि जीएसएन राजू शांतम्मा के शिष्य हैं.
सेंचुरियन विश्वविद्यालय के कुलपति जी एस एन राजू ने कहा कि लगभग 50 साल पहले, उन्होंने हमारे बैच को भौतिकी पढ़ाया. तब उसमें सौ में से 70 अंक प्राप्त करना मुश्किल था. मुझे एक सौ में से 94 अंक मिले. तब से, मैं मैडम का प्रिय छात्र बन गया. वह भी मेरी पसंदीदा शिक्षिका रहीं. वीसी बनने के बाद मैंने तीन साल तक विश्वविद्यालय में काम किया. मैडम ने भी वहां काम किया. यहां आने के बाद भी मैडम हर दिन व्याख्यान देकर युवा कर्मचारियों को बहुत प्रेरणा देती थीं.