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Astrological therapy in Darbhanga: देश का पहला अस्पताल जहां डॉक्टर कुंडली देखकर करते हैं इलाज - ज्योतिष चिकित्सा केंद्र

राजकीय दरभंगा आयुर्वेद कॉलेज (Darbhanga Ayurveda Hospital) में देश का पहला ज्योतिष चिकित्सा केंद्र (First Astrological Therapy Center) खोला गया है, जहां कुंडली और हस्तरेखा देख रोगों का पता लगाया जाता है और आयुर्वेदिक दवाओं से इलाज किया जाता है. अस्पताल आने वाले मरीजों का कहना है कि ज्योतिष और आयुर्वेद के मेल से उन्हें बीमारी के इलाज में काफी फायदा हो रहा है. पढ़ें ये रिपोर्ट..

डॉक्टर कुंडली देखकर करते हैं इलाज
डॉक्टर कुंडली देखकर करते हैं इलाज

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Published : Feb 15, 2022, 1:15 AM IST

दरभंगा: बिहार के दरभंगा जिले के महारानी रमेश्वरी भारतीय चिकित्सा विज्ञान संस्थान (Maharani Rameshwari Indian Institute of Medical Sciences) और महाराजा कामेश्वर सिंह राजकीय आयुर्वेदिक अस्पताल (Maharaja Kameshwar Singh Government Ayurvedic Hospital) में रोगियों के इलाज के लिए एक अनोखी पहल की गई है. यहां ज्योतिष से रोग का पता लगाकर उसका आयुर्वेदिक इलाज हो रहा है, जिसका अच्छा रिस्पांस भी मिल रहा है.

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यहां वैसे आयुर्वेदिक चिकित्सकों की नियुक्ति की गई है जो ज्योतिष के भी डिग्रीधारी हैं. ऐसे चिकित्सक अस्पताल में आने वाले रोगियों की जन्म तिथि, समय और स्थान का पता करके उनकी कुंडली बनाते हैं. वहीं, अगर किसी व्यक्ति को जन्म तिथि, स्थान और समय की जानकारी न हो तो उसका हाथ देखकर हस्तरेखा विज्ञान के माध्यम से कुंडली बनाई जाती है.

कुंडली देखकर होता है इलाज

इसके बाद व्यक्ति की कुंडली के ग्रहों की स्थिति के अनुसार उस व्यक्ति के रोग का पता लगाया जाता है. तब उसके अनुसार उसे आयुर्वेदिक दवाएं दी जाती हैं. साथ ही रत्नों, हवन यज्ञ, मंत्र जाप और पूजा का भी सुझाव दिया जाता है. अस्पताल की इलाज की यह अनोखी विधि धीरे-धीरे लोकप्रिय हो रही है और मरीजों की संख्या भी बढ़ रही है. यहां आने वाले मरीजों का कहना है कि ज्योतिष और आयुर्वेद के मेल से उन्हें बीमारी के इलाज में काफी फायदा हो रहा है. हर दिन अस्पताल में ऐसे लोगों की संख्या बढ़ रही है जो ज्योतिष के माध्यम से आयुर्वेदिक इलाज करवाने पहुंच रहे हैं.

ज्योतिष से आयुर्वेदिक इलाज (Ayurvedic treatment with astrology) करवाने पहुंची एक मरीज शोभा कुमारी ने कहा कि ''मुझे आंख की बीमारी है. जब मैं यहां आईं तो जन्म तिथि, स्थान और समय पूछकर चिकित्सक ने मेरी आंख की बीमारी को पहचान लिया. इसके बाद मुझे आयुर्वेदिक दवाएं तो दी ही गईं, साथ ही पूजा और मंत्र जाप का सुझाव भी दिया गया है. इससे मुझे फायदा हो रहा है.''

राजकीय आयुर्वेद अस्पताल के चिकित्सक डॉ. दिनेश कुमार ने कहा कि वे ज्योतिष के माध्यम से कुंडली बनाकर यहां आने वाले लोगों की बीमारियों की पहचान करते हैं. उन्होंने कहा कि जन्म तिथि, जन्म स्थान और जन्म समय की जानकारी लेकर कुंडली बनाई जाती है. साथ ही हस्तरेखा विज्ञान के माध्यम से भी व्यक्ति की कुंडली बनाई जाती है. उसके बाद उसे दवा और पूजा पाठ का सुझाव दिया जाता है.

राजकीय आयुर्वेदिक अस्पताल के चिकित्सक डॉ. दिनेश कुमार,''प्राचीन काल में जो आयुर्वेदिक चिकित्सक होते थे वे ज्योतिषी भी होते थे और जो ज्योतिषी होते थे वे आयुर्वेदिक चिकित्सक भी होते थे. इससे इलाज में काफी फायदा होता था. धीरे-धीरे यह परंपरा विलुप्त होती गई और आज लोग आयुर्वेद और ज्योतिष को अलग-अलग समझ रहे हैं. आयुर्वेदिक अस्पताल में इसे पुनर्जीवित किया गया है और लोग इसका लाभ उठा रहे हैं.''

वहीं, महाराजा कामेश्वर सिंह राजकीय आयुर्वेदिक अस्पताल के अधीक्षक सह महारानी रामेश्वरी भारतीय चिकित्सा विज्ञान संस्थान के प्रधानाचार्य प्रो. डॉ. दिनेश्वर प्रसाद ने कहा कि आज आयुर्वेद, ज्योतिष, योग विज्ञान और प्राकृतिक चिकित्सा विज्ञान अलग-अलग हो चुके हैं. उन्होंने कहा कि एक समय था जब ये सभी भारतीय विज्ञान एक ही साथ हुआ करते थे.

महारानी रमेश्वरी भारतीय चिकित्सा विज्ञान संस्थान के प्रधानाचार्य डॉ. दिनेश्वर प्रसाद का कहना है कि,''आयुर्वेद की तरह ज्योतिष भी एक विज्ञान है और दोनों के समावेश से रोगों की पहचान और उनका इलाज आसान हो जाता है. महारानी रमेश्वरी भारतीय चिकित्सा विज्ञान संस्थान की स्थापना का उद्देश्य ही यह था कि यहां आयुर्वेद के साथ-साथ ज्योतिष, योग और नेचुरोपैथी का संगम हो, जो धीरे-धीरे समाप्त हो गया. हम दरभंगा राज की साढ़े 5 सौ साल पुरानी परंपरा को जीवित कर रहे हैं और मिथिला के इस ज्ञान के माध्यम से देश के लोगों तक इसे पहुंचा रहे हैं.''

बता दें कि 18 साल से बंद राजकीय दरभंगा आयुर्वेद कॉलेज में आने वाले साल 2022 से दोबारा पढ़ाई शुरू होने जा रही है. इसको लेकर कॉलेज और अस्पताल में नई-नई सेवाएं शुरू हो रही हैं. 22 एकड़ में फैले इस संस्थान की स्थापना दरभंगा राज की ओर से की गई थी. 1975 में बिहार सरकार (Bihar Government) ने इसका अधिग्रहण कर लिया. उसके बाद यहां से बीएएमएस कोर्स (BAMS Course) की पढ़ाई शुरू हुई. वर्ष 2004 में मानक पूरा नहीं करने की वजह से यहां एडमिशन पर रोक लगा दी गई थी, तब से यह वीरान पड़ा था.

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