नई दिल्ली/श्रीनगर : चुनाव आयोग (Election Commission) ने सोमवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा स्थिति को ध्यान में रखते हुए चुनाव 'उचित समय' पर कराए जाएंगे. मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के कार्यक्रम की घोषणा करने के लिए आयोजित संवाददाता सम्मेलन में यह टिप्पणी की.
उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में चुनाव तब होंगे जब सुरक्षा स्थिति और इस केंद्र शासित प्रदेश में होने वाले अन्य चुनावों को ध्यान में रखते हुए आयोग 'उचित समय' समझेगा.
जम्मू और कश्मीर जून 2018 से राष्ट्रपति शासन के अधीन है. जिसके बाद 5 अगस्त, 2019 को केंद्र ने अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया और पूर्ववर्ती राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों जन्मू-कश्मीर और लद्दाख में बदल दिया.
'मुफ्त में सुविधाएं देने की घोषणा में लोकलुभावन वादों का तड़का होता है' : मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने सोमवार को कहा कि राजनीतिक दलों और राज्य सरकारों द्वारा मुफ्त में सुविधाएं देने वाली घोषणाओं में लोकलुभावन वादों का 'तड़का' होता है और चुनाव जीतने वालों के लिए इन रियायतों को लागू करना या फिर इस प्रथा को रोकना मुश्किल होता है.
चुनावों से पहले विभिन्न दलों और सरकार द्वारा मुफ्त में सुविधाएं मुहैया कराने की घोषणा के बारे में एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि यह राज्य सरकारों का अधिकार क्षेत्र है, लेकिन वे पांच साल तक ऐसी रियायतों को याद नहीं रखते हैं, लेकिन चुनाव कार्यक्रम की घोषणा से सिर्फ एक महीने या एक पखवाड़े पहले उनकी घोषणा करते हैं.
उन्होंने कहा कि यह मामला फिलहाल अदालत में विचाराधीन है और निर्वाचन आयोग इस पर स्पष्टता और निर्णय मिलते ही कार्रवाई करेगा. उन्होंने याद दिलाया कि निर्वाचन आयोग ने हाल ही में पार्टियों और राज्यों के लिए एक प्रपत्र जारी किया था, जिसमें पूछा गया था कि उनके चुनावी घोषणापत्र में किए गए वादों को वे कैसे और कब लागू करेंगे.
उन्होंने कहा, 'एक राज्य में कुछ घोषणाएं और अन्य में कुछ अन्य घोषणाएं. मुझे नहीं पता कि पांच साल तक इसकी याद क्यों नहीं आती और सारी घोषणाएं एक महीने या 15 दिन में क्यों की जाती हैं. वैसे भी यह राज्य सरकारों का अधिकार क्षेत्र है.'