नई दिल्ली : सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि असम कभी भी म्यांमार का हिस्सा नहीं था. उन्होंने कहा कि वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने असम के म्यांमार का हिस्सा होने का गलत संदर्भ देते हुए कहा कि उन्होंने इतिहास की गलत किताब पढ़ी है. भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ असम में अवैध प्रवासियों से संबंधित नागरिकता अधिनियम की धारा 6ए की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली 17 याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है.
नागरिकता अधिनियम में धारा 6ए को असम समझौते के अंतर्गत आने वाले लोगों की नागरिकता से निपटने के लिए एक विशेष प्रावधान के रूप में जोड़ा गया था. केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे मेहता ने पीठ के समक्ष कहा कि मुझे नहीं लगता कि धारा 6ए की वैधता तय करने का इसका कोई उद्देश्य हो सकता है. लेकिन, मेरे विद्वान वरिष्ठ मित्र (वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल) ने कुछ इतिहास का हवाला दिया था. ऐसा लगता है कि उन्होंने इतिहास की गलत किताब पढ़ ली है. असम कभी भी म्यांमार का हिस्सा नहीं था.