गुवाहाटी : असम के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) ने कोविड-19 प्रोटोकॉल के उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ हत्या के प्रयास का मामला दर्ज करने की धमकी दी है लेकिन कानूनी विशेषज्ञों ने बृहस्पतिवार को कहा कि इस तरह के अपराध के लिए धारा 307 के तहत मामला दर्ज करना संभव नहीं है.
गुवाहाटी उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने डीजीपी भास्कर ज्योति महंत की टिप्पणी को 'बचकानी, कानून का खराब ज्ञान और दुर्भाग्यपूर्ण' करार दिया, लेकिन साथ ही कहा कि शीर्ष पुलिस अधिकारी ने शायद ये बात लोगों को पाबंदियों का पालन करने के लिए मजबूर करने के लिए कही थी.
असम सरकार ने बुधवार को शहरों और कस्बों में बढ़ते कोविड-19 मामलों को काबू में करने के लिए बृहस्पतिवार से शहरी और अर्ध शहरी क्षेत्रों में 15 दिनों के लिए सभी कार्यालयों, धार्मिक स्थानों और साप्ताहिक बाजारों को बंद करने का आदेश दिया.
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वरिष्ठ अधिवक्ता अंगशुमान बोरा ने कहा, 'यह खराब कानूनी ज्ञान के साथ दिया गया एक बयान है. यह उनके जैसे पद पर बैठे किसी व्यक्ति के लिए एक बचकानी टिप्पणी है. हत्या के प्रयास को आईपीसी की धारा 307 में स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है और उनका बयान इससे ऊपर नहीं हो सकता.'
आईपीसी की धारा 307 हत्या के प्रयास से संबंधित है, जिसे हत्या के इरादे से किए गए कृत्य के रूप में परिभाषित किया जाता है, जिससे मौत होती है या गंभीर चोट लगती है. इस प्रावधान के तहत अधिकतम मौत की सजा भी हो सकती है.
बोरा ने कहा, 'कोविड-19 मानक संचालन प्रक्रिया का गैर-अनुपालन केवल प्रख्यापित आदेश का उल्लंघन है, जिससे आपदा प्रबंधन अधिनियम और आईपीसी की धारा 188 के तहत निपटा जा सकता है. इनका पालन करने की प्रक्रिया दंड प्रक्रिया संहिता में है.'