फरीदाबाद: चीन में चल रहे एशियन गेम्स में फरीदाबाद की बेटी ने 25 मीटर एयर फायर पिस्टल ग्रुप (महिला) में स्वर्ण पदक अपने नाम किया. इस खेल में मनु भाकर, रिदम सांगवान, ईशा सिंह की जोड़ी ने देश का नाम ऊंचा कर दिया. यही वजह है कि इन खिलाड़ियों पर पूरा देश आज नाज कर रहा है. इन खिलाड़ियों के घरवालों को लगातार बधाइयां मिल रही हैं. रिदम के परिजनों को भी अपने परिवार की बेटी पर नाज है.
मां का सपना बेटी ने किया साकार: ईटीवी भारत के साथ खास बातचीत में रिदम सांगवान की मां नीलम बताती हैं 'रिदम के पिता पुलिस में हैं तो जब रिदम जब बच्ची थी उस समय पापा के पिस्टल को देखकर कहती थी कि मैं पापा की तरह पुलिस अफसर बनूंगी और पिस्टल चलाउंगी. मैं चाहती थी कि मेरे बच्चे स्पोर्ट्स में आगे बढ़ें, क्योंकि मैं खुद स्कूल टाइम पर स्पोर्ट्स में भाग लेती रहती थी. लेकिन, परिस्थिति ऐसी रही कि मैं आगे तक नहीं खेल पाई. इसीलिए मैंने सोचा था कि मेरे बच्चे पढ़ाई के साथ-साथ स्पोर्ट्स में आगे बढ़ेंगे.'
रिदम को पढ़ाई के साथ-साथ खेलने का भी रहा शौक: रिदम की मां कहती हैं 'मैं चाहती थी कि रिदम लॉन टेनिस खेले और वह खुद भी मारिया शारापोवा की बहुत बड़ी फैन है. उसे भी लॉन टेनिस खेलना अच्छा लगता था. लेकिन, एक दिन जब हम उसे शूटिंग रेंज ले गए तो रिदम ने शूटिंग करने का ही फैसला लिया. जिसेक बाद पढ़ाई के साथ-साथ उसने अपने शूटिंग करियर पर ध्यान दिया. हालांकि खेल की वजह से रिदम ज्यादातर बाहर ही रहती है, लेकिन जब भी वो घर आती है तब वह राजमा चावल ही मांगती है. जब वह खेलने गई थी उसे समय भी राजमा चावल खा कर गई, जब वापस आएगी तो उसकी फरमाइश है कि राजमा चावल ही बनाया जाए.
रिदम के कोच विनीत कुमार हैं, जिन्होंने रिदम को शूटिंग का ए टू ज सिखाया है. उनकी मेहनत की बदौलत रिदम आज इस मुकाम पर पहुंची है. पढ़ाई में भी रिदम नंबर वन रही है. वह विदेश से गेम खेल कर लौटी थी और कुछ दिन बाद ही उसका एग्जाम था तो मैंने कहा था बेटा बस पास मार्ग ले आना, लेकिन उसने 12th में 95% मार्क्स लाए. - नीलम, रिदम की मां
बच्चों पर कभी नहीं डाला दबाव: रिदम की मां कहती हैं 'हमने अपने बच्चों पर कभी भी किसी चीज का दबाव नहीं बनाया. बड़ी बेटी ने कहा मुझे डॉक्टर बनना है तो डॉक्टर की पढ़ाई करने लगी. रिदम को स्पोर्ट्स में जाना था तो वह स्पोर्ट्स में गई. रिदम को छोटा भाई है वह भी स्पोर्ट में है और फुटबॉल खेलता है.