हरिद्वारःधर्मनगरी हरिद्वार में आज गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड (Guinness World Records) के लिए डॉक्टर प्रिया आहूजा योग के आठ कोण मुद्रा (अष्टवक्रासन) के रिकॉर्ड को तोड़ने के लिए मैदान में उतरी. जिसमें प्रिया सफल भी हुईं और उन्होंने 3 मिनट 29 सेकेंड तक अष्टवक्रासन योग पोज कर नया रिकॉर्ड बना लिया है. डॉक्टर प्रिया आहूजा ने बताया कि इससे पहले इस योग पोज का गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में 2 मिनट 6 सेकेंड तक का रिकॉर्ड है, जिसे आज उन्होंने ब्रेक किया है. जिसमें उन्होंने नया रिकॉर्ड बनाते हुए 3 मिनट 29 सेकेंड तक अष्टवक्रासन पोज को किया है. जल्द ही सभी एविडेंस को गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड के अधिकारियों को भेज दिया जाएगा.
ये भी पढ़ेंःपिथौरागढ़ के योग प्रशिक्षक विजय ने बनाया विश्व रिकॉर्ड, 1 मिनट में किया 21 बार सूर्य नमस्कार
प्रिया आहूजा ने बताया कि वो समाज में यह संदेश देने के लिए इस रिकॉर्ड को ब्रेक करना चाहती थी कि गृहस्थ जीवन में महिलाएं कुछ भी कर सकती हैं. वो खुद भी दो बच्चों की मां हैं और इस योग पोज को ब्रेक करने के लिए उनकी सात साल से तैयारी चल रही थी, जो अब जाकर संभव हो पाई है. उन्होंने कहा कि इसमें उनकी पूरी फैमिली का सपोर्ट रहा. खासकर उनके ससुर ने उन्हें बेटी की तरह सब करने का हौसला दिया. उन्हीं का सपना था कि मैं गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करा पाऊं, जो अब पूरा होता हुआ दिख रहा है.
वहीं, हरिद्वार गुरुकुल कांगड़ी के योगाचार्य चर्चित बालियान ने बताया कि इससे पहले इस रिकॉर्ड को भाग्यश्री ने बनाया था. जो कि 2 मिनट 6 सेकेंड तक का था. जिसे 15 दिसंबर 2021 में बनाया गया था. आज इसे प्रिया आहूजा ने ब्रेक किया है. जिसमें प्रिया ने नया रिकॉर्ड 3 मिनट 29 सेकेंड का बनाया है.
जानें अष्टवक्रासन क्रिया:अष्टवक्रासन एक जटिल योग मुद्रा है, जिसका अभ्यास आमतौर पर योग प्रशिक्षकों की मदद से ही किया जाता है. इस योगासन में शरीर की मूल मांसपेशियों के बल और शारीरिक संतुलन की आवश्यकता पड़ती है. अंग्रेजी में इसे 'एट एंगल पोज'- Eight angle pose कहा जाता है. अष्टावक्रासन मुद्रा में बैठने की स्थिति से प्रवेश किया जाता है. एक हाथ पैरों के बीच, दूसरा दूसरे पैर के ठीक बाहर और हथेलियां फर्श पर रहती हैं. फर्श से दोनों पैरों को ऊपर उठाने और उठाने से एक भिन्न या प्रारंभिक स्थिति मिलती है. दोनों पैर मुड़े हुए होते हैं, एक पैर एक अग्रभाग पर होता है, दूसरा पैर टखने पर पहले से पार होता है. पैरों को सीधा करने से फुल पोज मिलता है.
ये भी पढ़ेंःयोग नगरी की मनीषा ने योग में लहराया परचम, नेशनल चैंपियनशिप में जीता गोल्ड
क्या कहती है पौराणिक कथा: योग में वर्णित 'अष्टवक्रासन' का अभ्यास शरीर के आठ अंगों को प्रभावित करता है. संस्कृत शब्द अष्टवक्रासन का अर्थ अष्ट + वक्र + आसन, यानी आठ जगह से टेढ़ी शरीर रचना होता है. अष्टवक्रासन की निर्मिति महान ऋषि 'अष्टावक्र' द्वारा हुई है. दरअसल, अष्टावक्र का जन्म आठ शारीरिक बाधाओं के साथ हुआ था. अष्टावक्र सीता के पिता राजा जनक के आध्यात्मिक गुरू थे.
अष्टावक्र की माता का नाम सुजाता था. सुजाता के पिता ऋषि उद्दालक ने उनका विवाह वेदपाठी और प्रकांड पंडित कहोड़ से करवाया था, जो उनके शिष्य भी थे. मिथिला राज्य में पंडित कहोड़ से कोई शास्त्रार्थ में जीत नहीं सकता था. अष्टावक्र जब गर्भ में थे तब रोज उनके पिता से वेद सुनते थे. एक दिन उनसे रहा नहीं गया और गर्भ से ही कह बैठे- 'रुको यह सब बकवास, शास्त्रों में ज्ञान कहां? ज्ञान तो स्वयं के भीतर है. सत्य शास्त्रों में नहीं स्वयं में है. शास्त्र तो शब्दों का संग्रह मात्र है.' ये सुनते ही पिता क्रोधित हो गए और बच्चे को आठ स्थानों पर झुके होने अर्थात आठ मोड़ों पर जन्म लेने का श्राप दिया.