रायपुर : हिंदू धर्म में कुल 4 नवरात्रि होती हैं. चैत्र, शारदीय, माघ और आषाढ़ में पड़ने वाली नवरात्रि (Gupt Navratri of Ashadh month). इनमें से दो गुप्त नवरात्रि (gupt navratri 2021) कहलाती है. माघ और आषाढ़ के महीने में पड़ने वाली नवरात्रि गुप्त नवरात्रि कहलाती है. इस बार आषाढ़ माह की गुप्त नवरात्रि 11 जुलाई से 18 जुलाई तक मनाई जाएगी. गुप्त नवरात्रि का बहुत महत्व है. इस बार रवि पुष्य नक्षत्र के सुंदर योग में आषाढ़ शुक्ल पक्ष की प्रथमा से गुप्त नवरात्रि का सूक्ष्म पर्व मनाया जाएगा.
षष्ठी और सप्तमी तिथि एक ही दिन 16 जुलाई को पड़ रही है. इस नवरात्रि की विशेषता है कि दूज के दिन जगन्नाथपुरी तीर्थ में रथ यात्रा का आयोजन किया जाता है. गुप्त नवरात्रि में सात्विक और तांत्रिक दोनों का बेहद महत्व है. तंत्र साधना करने वाले साधक गुप्त नवरात्रि का बेसब्री से इंतजार करते हैं. मंदिरों में इस गुप्त नवरात्रि को प्रायः नहीं मनाया जाता है, लेकिन बिलासपुर के रतनपुर में स्थित महामाया मंदिर में गुप्त नवरात्रि की पूजा होती है.
11 से 18 जुलाई 2021 तक गुप्त नवरात्रि रतनपुर के महामाया मंदिर में होती है गुप्त नवरात्रि की पूजा
रतनपुर के सिद्ध पीठ मां महामाया मंदिर (mahamaya mandir ratanpur) में गुप्त नवरात्रि का पर्व पूरे भक्तिमय माहौल में मनाया जाता है. अष्टमी के दिन श्री महामाया पीठ में यज्ञ हवन का कार्यक्रम होता है. महानवमी के दिन प्रसाद के रूप में भंडारे की भी परंपरा है. इस दिन घरों में 9 कुंवारी कन्याओं को बुलाकर भोजन कराना बहुत शुभ होता है.
गुप्त नवरात्रि में सात्विक और तांत्रिक पूजा का विधान
सात्विक मार्गी और तंत्र मार्गी दोनों ही इस गुप्त नवरात्रि पर्व को पूरी आस्था से मनाते हैं. मंत्रों की सिद्धि, व्रत, उपवास, दान, विवाह, पुंसवन सीमन्त विद्यारंभ संस्कार के लिए यह गुप्त नवरात्रि शुभ मानी जाती है. नवीन वस्त्र, वाहन को भी खरीदा-बेचा जा सकता है. इस दौरान व्यापार को बल मिलता है. 18 जुलाई 2021 को भड़ली नवमी के रूप में यह नवरात्रि समाप्त होगी.
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धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गुप्त नवरात्रि तंत्र-मंत्र को सिद्ध करने वाली मानी जाती है. माना जाता है कि गुप्त नवरात्रि में तांत्रिक महाविद्याओं को भी सिद्ध करने के लिए मां दुर्गा की उपासना की जाती है. मान्यता है कि गुप्त नवरात्र में तंत्र-मंत्र, सिद्धि साधना कर मनुष्य दुर्लभ शक्तियों को प्राप्त करता है. इस समय की गई साधना जल्दी फलदायी होती है. इस दौरान 10 महाविद्याओं की पूजा गुप्त रूप से की जाती है.
इनकी करें पूजा
गुप्त नवरात्रि में मां काली, तारा देवी, छिन्नमस्ता, षोडशी, भुवनेश्वरी, त्रिपुर भैरवी, मां धूमावती, माता बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी की पूजा की जाती है.
आषाढ़ गुप्त नवरात्र पर कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
- आषाढ़ घट स्थापना- 11 जुलाई 2021 रविवार को
- सुबह 5.31 से सुबह 7.47 तक
- अवधि- 2 घंटे 16 मिनट
- घट स्थापना अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11.59 से दोपहर 12.54 तक
- प्रतिपदा तिथि शुरू- 10 जुलाई 2021 को सुबह 6.46 बजे
- प्रतिपदा तिथि समाप्त- 11 जुलाई 2021 को सुबह 7.47 बजे
गुप्त नवरात्रि में प्रयोग में आने वाली सामग्री
मां दुर्गा की प्रतिमा या चित्र, सिंदूर, केसर, कपूर, जौ, धूप, वस्त्र, दर्पण, कंघी, कंगन-चूड़ी, सुगंधित तेल, बंदनवार आम के पत्तों का, लाल पुष्प, दूर्वा, मेहंदी, बिंदी, सुपारी साबुत, हल्दी की गांठ और पिसी हुई हल्दी, पटरा, आसन, चौकी, रोली, मौली, पुष्पहार, बेलपत्र, कमलगट्टा, बंदनवार, दीपक, दीपबत्ती, नैवेद्य, मधु, शक्कर, पंचमेवा, जायफल, जावित्री, नारियल, आसन, रेत, मिट्टी, पान, लौंग, इलायची, कलश मिट्टी या पीतल का, हवन सामग्री, पूजन के लिए थाली, श्वेत वस्त्र, दूध, दही, ऋतुफल, सरसों सफेद और पीली, गंगाजल आदि.
गुप्त नवरात्रि की पूजा विधि
● गुप्त नवरात्रि के दौरान आधी रात को मां दुर्गा की पूजा की जाती है.
● मां दुर्गा की प्रतिमा या मूर्ति स्थापित कर लाल रंग का सिंदूर और चुनरी अर्पित करें.
● इसके बाद मां दुर्गा के चरणों में पूजा सामग्री को अर्पित करें.
● मां दुर्गा को लाल पुष्प चढ़ाना शुभ माना जाता है.
● सरसों के तेल से दीपक जलाकर 'ॐ दुं दुर्गायै नमः' मंत्र का जाप करना चाहिए.
- दुर्गा सप्तशती का ऐसे करें पाठ
- दुर्गा सप्तशती का पाठ करते समय शुद्धता का विशेष ध्यान रखना चाहिए.
- दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से पहले स्नान आदि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए.
- बैठने के लिए कुश के आसन का प्रयोग करना चाहिए, अगर आपके पास कुश का आसन नहीं है, तो ऊन के बने हुए आसन का प्रयोग कर सकते हैं.
- पाठ शुरू करने से पहले गणेश जी एवं सभी देवगणों को प्रणाम करें. माथे पर चंदन या रोली का तिलक लगाएं.
- लाल पुष्प, अक्षत एवं जल मां को अर्पित करते हुए पाठ का संकल्प लें.
- इसके बाद पाठ को आरंभ करने से पहले उत्कीलन मंत्र का जाप करें. इस मंत्र को आरंभ और अंत में 21 बार जप करना चाहिए.
- इसके बाद मां दुर्गा का ध्यान करते हुए पाठ का आरंभ करें. इस तरह से मां दुर्गा सप्तशती का पाठ करने पर सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
- गुप्त नवरात्रि में करें ये उपाय
- सुबह-शाम दुर्गा चालीसा और दुर्गा सप्तशती का पाठ करें.
- दोनों वक्त की पूजा में लौंग और बताशे का भोग लगाएं.
- मां दुर्गा को लाल रंग के पुष्प ही चढ़ाएं.
- मां दुर्गा के विशिष्ट मंत्र 'ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडाय विच्चे' का सुबह-शाम 108 बार जप करें.
- गुप्त नवरात्रि में अपनी पूजा के बारे में किसी को न बताएं.
कठोर अनुशासन जरूरी
इस नवरात्रि में देवी भगवती के साधक व्रत के कठोर अनुशासन का पालन करते हैं. मान्यता है कि इस दिन गलत कार्यों से दूर रहना चाहिए और किसी का अहित नहीं सोचना चाहिए. मन में सबके कल्याण की भावना होनी चाहिए.
जानिए गुप्त नवरात्रि में क्या करें और क्या नहीं
- गुप्त नवरात्रि के दौरान मांस-मदिरा, लहसुन और प्याज का बिल्कुल सेवन नहीं करें.
- मां दुर्गा स्वयं एक नारी हैं, इसलिए नारी का सदैव सम्मान करें. जो लोग स्त्री का सम्मान नहीं करते, उन्हें माता की कृपा प्राप्त नहीं होती.
- नवरात्रि के दिनों में घर में क्लेश, द्वेष या अपमान नहीं करना चाहिए. कहते हैं कि ऐसा करने से बरकत नहीं होती है.
- नवरात्रि में साफ-सफाई का विशेष ख्याल रखना चाहिए. नौ दिनों तक सूर्योदय से साथ ही स्नान कर साफ वस्त्र धारण करने चाहिए.
- नवरात्रि के दौरान काले रंग के वस्त्र नहीं धारण करने चाहिए और ना ही चमड़े के बेल्ट या जूते पहनने चाहिए.
- मान्यता है कि नवरात्रि के दौरान बाल, दाढ़ी और नाखून नहीं काटने चाहिए.
- नवरात्रि के दौरान बिस्तर पर नहीं बल्कि जमीन पर सोना चाहिए.
- घर पर आए किसी मेहमान या भिखारी का अपमान नहीं करना चाहिए.
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