पटना:बिहार हिंसा मामले को लेकरAIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने एक बार फिर महागठबंधन सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने ट्वीट कर कहा कि सासाराम और नालंदा में हुई हिंसा के जिम्मेदार हिन्दुत्ववादियों को जेल भेजने के बजाय मुसलमान लड़कों और बच्चों को ही गिरफ्तार किया जा रहा है. दूसरी ओर बिहार के "सेक्युलर" मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री को फैंसी ड्रेस से फुर्सत ही नहीं मिलती.
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बोले ओवैसी- 'नीतीश और तेजस्वी को फैंसी ड्रेस से फुर्सत नहीं': वहीं असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि बिहार हिंसा को पूर्व नियोजित बताया जा रहा है तो आपलोग सो क्यों रहे थे? 31 मार्च को गड़बड़ हुई तो 1 अप्रैल को गड़बड़ कैसे होती है. नीतीश कुमार और राजद की मिली जुली सरकार हिंसा को रोकने में नाकामयाब रही है. जुलूस का परमिशन दिया जाता है, पुलिस के सामने मदरसे को जलाया जाता है और पुलिस मूकदर्शक बनी रहती है. सेक्युलरिज्म आपको सिर्फ चुनाव के समय ही क्यों याद आता है. जब सीएम और पीएम पद की दावेदारी की बात होती है तो सेक्युलर की बातें भी होने लगती हैं.
"यकीनन ये पूरी जिम्मेदारी नीतीश सरकार की है और इसे रोक ना पाने की नाकामी भी उन्हीं की है. इतने बड़े हिंसा के बाद भी सरकार ने अभी तक मुआवजा देने की बात तक नहीं की है. न ही पुलिस वालों को सस्पेंड किया गया बजाय इसके इफ्तार पार्टी की जाती है और खजूर खाए जाते हैं. ये क्या हो रहा है. सत्ता में है कुछ तो अपनी जिम्मेदारी निभायें."-असदुद्दीन ओवैसी,AIMIM प्रमुख
बिहार हिंसा पीड़ितों को मुआवजा दे सरकार: असदुद्दीन ओवैसी ने सरकार से मांग की है कि जिनके घर लूटे गए हैं और जलाए गए हैं, उन्हें मुआवजा दिया जाए. सासाराम के मुद्दे पर सरकार बात करने से बच रही है, इसपर बात किया जाए. साथ ही ओवैसी ने इफ्तार पार्टी को लेकर भी नीतीश-तेजस्वी को जमकर कोसा है.
बिहार में हिंसा का मामला: दरअसल रामनवमी के अगले दिन बिहार के कई जिलों से हिंसा की खबरें सामने आई थी. सासाराम और नालंदा में हालात बेकाबू हो गए थे. दो समुदायों की झड़प के कारण नालंदा में 2 अप्रैल को धारा 144 लागू होने के कारण केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को अपना दौरा रद्द करना पड़ा था. हिंसा की आग में कई दुकानें, घरों को आग लगा दी गई थी. कई लोग घायल हुए. पथराव और मारपीट की घटनाओं को रोकने में पुलिस के पसीने छूट गए थे. सासाराम और नालंदा में इंटरनेट सेवा भी बंद करनी पड़ी थी.