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Asaduddin Owaisi On RSS Chief Mohan Bhagwat : ओवैसी ने पूछा 'अनुमति' देने वाले भागवत कौन होते हैं?

AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) के बयान पर पलटवार किया है. ओवैसी ने पूछा कि मुसलमानों को भारत में रहने या हमारे धर्म का पालन करने की 'अनुमति' देने वाले मोहन कौन होते हैं? इतना ही नहीं ओवैसी ने कहा कि अल्लाह ने चाहा, इसलिए हम भारतीय हैं.

Asaduddin Owaisi On RSS Chief Mohan Bhagwat
AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी की फाइल फोटो

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Published : Jan 11, 2023, 2:08 PM IST

Updated : Jan 11, 2023, 5:42 PM IST

नई दिल्ली:AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि मुसलमानों को भारत में रहने या हमारे धर्म का पालन करने की 'अनुमति' देने वाले मोहन कौन होते हैं? हम भारतीय हैं क्योंकि अल्लाह ने चाहा. उन्होंने हमारी नागरिकता पर 'शर्तें' लगाने की हिम्मत कैसे की? हम यहां अपने विश्वास को 'समायोजित' करने या नागपुर में कथित ब्रह्मचारियों के समूह को खुश करने के लिए नहीं हैं.'

ओवैसी ने आगे कहा कि मोहन कहते हैं कि भारत को कोई बाहरी खतरा नहीं है. संघी दशकों से 'आंतरिक शत्रुओं' और 'युद्ध की स्थिति' का रोना रो रहे हैं और लोक कल्याण मार्ग में उनके स्वयं के स्वयंसेवक कहते हैं, कोई नहीं घुसा है. उन्होंने कहा कि चीन के लिए यह 'चोरी' और साथी नागरिकों के लिए 'सीनाजोरी' क्यों? अगर हम वास्तव में युद्ध में हैं तो क्या स्वयंसेवक सरकार 8 से अधिक वर्षों से सो रही है?

कोई भी सभ्य समाज धर्म के नाम पर इस तरह की नफरत और कट्टरता को बर्दाश्त नहीं कर सकता. मोहन को हिन्दुओं का प्रतिनिधि किसने चुना? 2024 में चुनाव लड़ रहे हैं? स्वागत है. उन्होंने कहा कि ऐसे बहुत से हिंदू हैं जो आरएसएस के वर्चस्व की उद्दाम बयानबाजी को महसूस करते हैं, हर अल्पसंख्यक कैसा महसूस करता है, यह तो दूर की बात है. यदि आप अपने ही देश में विभाजन पैदा करने में व्यस्त हैं तो आप दुनिया के लिए वसुधैव कुटुम्बकम नहीं कह सकते.

उन्होंने कहा कि पीएम दूसरे देशों के सभी मुस्लिम नेताओं को गले क्यों लगाते हैं लेकिन अपने देश में एक भी मुस्लिम को गले लगाते नहीं दिखते? यह अलंकार और अभद्र भाषा नहीं तो क्या है यह जागृति और युद्ध सामग्री? राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल ने भी बुधवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत की 'हिंदुस्तान को हिंदुस्तान रहना चाहिए' टिप्पणी पर तंज कसते हुए बुधवार को कहा कि वह इस सहमत हैं, लेकिन 'इंसान को इंसान रहना चाहिए.'

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गौरतलब है कि ऑर्गनाइजर और पाञ्चजन्य के साथ एक साक्षात्कार में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने कहा है कि हिन्दू हमारी पहचान, राष्ट्रीयता और सबको अपना मानने एवं साथ लेकर चलने की प्रवृति है और इस्लाम को देश में कोई खतरा नहीं है, लेकिन उसे 'हम बड़े हैं' का भाव छोड़ना पड़ेगा. 'ऑर्गेनाइजर' और 'पांचजन्य' को दिये साक्षात्कार में सरसंघचालक भागवत ने एलजीबीटी समुदाय का भी समर्थन किया और कहा कि उनकी निजता का सम्मान किया जाना चाहिए और संघ इस विचार को प्रोत्साहित करेगा.

उन्होंने कहा कि इस तरह के झुकाव वाले लोग हमेशा से थे, जब से मानव का अस्तित्व है...यह जैविक है, जीवन का एक तरीका है. हम चाहते हैं कि उन्हें उनकी निजता का हक मिले और वह इसे महसूस करें कि वह भी इस समाज का हिस्सा है. यह एक साधारण मामला है. उन्होंने कहा कि तृतीय पंथी लोग (ट्रांसजेंडर) समस्या नहीं हैं. उनका अपना पंथ है, उनके अपने देवी देवता है. अब तो उनके महामंडलेश्वर हैं. उन्होंने कहा कि संघ का कोई अलग दृष्टिकोण नहीं है, हिन्दू परंपरा ने इन बातों पर विचार किया है.

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भागवत ने कहा कि हिन्दू हमारी पहचान, राष्ट्रीयता और सबको अपना मानने एवं साथ लेकर चलने की प्रवृति है. सरसंघचालक ने कहा कि हिन्दुस्थान, हिन्दुस्थान बना रहे, सीधी सी बात है. इससे आज भारत में जो मुसलमान हैं, उन्हें कोई नुकसान नहीं है. वह हैं. रहना चाहते हैं, रहें. पूर्वज के पास वापस आना चाहते हैं, आएं, उनके मन पर है. उन्होंने कहा कि इस्लाम को कोई खतरा नहीं है, लेकिन हम बड़े हैं, हम एक समय राजा थे, हम फिर से राजा बने...यह छोड़ना पड़ेगा और किसी कोई भी छोड़ना पड़ेगा.

साथ ही, भागवत ने कहा कि ऐसा सोचने वाला कोई हिन्दू है, उसे भी (यह भाव) छोड़ना पड़ेगा. कम्युनिस्ट है, उनको भी छोड़ना पड़ेगा. जनसंख्या नीति के बारे में एक प्रश्न के उत्तर में भागवत ने कहा कि पहले हिन्दू को यह समझ में आए कि हिन्दू आज बहुमत में है तथा हिन्दू के उत्थान से इस देश के सब लोग सुखी होंगे. उन्होंने कहा कि जनसंख्या एक बोझ भी है और एक उपयोगी चीज भी है, ऐसे में जैसा मैंने पहले कहा था कि वैसी दूरगामी और गहरी सोच से एक नीति बननी चाहिए.

Last Updated : Jan 11, 2023, 5:42 PM IST

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