रुड़कीः ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी बुधवार को उत्तराखंड पहुंचे. हालांकि ओवैसी का ये दौरा राजनीतिक नहीं था, लेकिन उसके बावजूद भी राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है. कारण ये है कि उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने भी चुनाव लड़ने का एलान किया है. ऐसे में प्रदेश में भाजपा, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और अब एआईएमआईएम की एंट्री के साथ मुकाबला दिलचस्प होने वाला है.
भाजपा, कांग्रेस और आप के बाद अब ओवैसी की पार्टी की एंट्री से विधानसभा चुनाव में ध्रुवीकरण की राजनीति अपने चरम पर होने की संभावना है. एआईएमआईएम के उत्तराखंड प्रदेश अध्यक्ष डॉ. नय्यर काजमी के मुताबिक आगामी कुछ दिनों में पार्टी विधानसभा चुनाव के लिए प्रत्याशियों का एलान कर सकती है. हालांकि ये भी स्पष्ट है कि उत्तराखंड में एआईएमआईएम पार्टी का कोई वजूद नहीं है. प्रदेश के दो से तीन जिलों के अलावा अन्य किसी जिले में पार्टी कार्यकर्ता भी मौजूद नहीं है. ऐसे में पार्टी को चुनाव में ऐसे उम्मीदवारों को उतारना होगा जिनका वर्चस्व अन्य उम्मीदवारों से कई अधिक हो.
क्या कहते हैं समीकरणः70 विधानसभा सीटों वाले उत्तराखंड में में जादुई आंकड़े के लिए 36 का संख्या बल चाहिए. 70 में से तकरीबन 22 सीटों पर मुस्लिम और दलित वोटों का गठजोड़ अहम भूमिका निभा सकता है. लेकिन यह भी जरूरी नहीं कि दलित और मुस्लिम एक साथ वोट करें ही. जहां बीएसपी की अच्छी खासी मौजूदगी है, वहां मतों का बंटवारा हुआ है. इसके अलावा कांग्रेस और बीजेपी को भी दलित वोट मिलता रहा है.
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हरिद्वार सबसे अहम जिलाःहरिद्वार जिला उत्तराखंड का सबसे बड़ा जिला है. जिले में 11 विधानसभा सीटें हैं, जिसमें से 10 सीटों पर दलित और मुस्लिम प्रभावी भूमिका में हैं. राजनीतिक तौर पर देखा जाए तो जिले की 11 विधानसभाओं में पिरान कलियर, भगवानपुर, मंगलौर, खानपुर व हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा में मुस्लिम मतदाता निर्णायक संख्या में है. जबकि रानीपुर, ज्वालापुर, झबरेड़ा व लक्सर जैसी सीटों पर भी मुस्लिम वोटर चुनाव को प्रभावित करते हैं. इसके अलावा उधमसिंह नगर की 9 सीट, देहरादून की 3 सीटों पर भी मुस्लिम-दलित समीकरण महत्वपूर्ण भूमिका में हैं.
ओवैसी का सियासी गणितः एआईएमआईएम जिन 22 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, उन सीटों में भी करीब आधा दर्जन सीटों पर सर्वाधिक मुस्लिम और दलित आबादी है. इन सीटों में हरिद्वार जिले की पिरान कलियर, खानपुर, मंगलौर, लक्सर, झबरेड़ा, और नैनीताल की हल्द्वानी विधानसभा सीट शामिल हैं. इसके अलावा तमाम मुस्लिम घनी आबादी वाली सीटों पर भी वोटिंग प्रतिशत काफी रहा है. जैसे-जैसे ईवीएम मशीनें खुलेंगी तभी लोगों का फैसला सामने आ पाएगा, लेकिन इतना तो तय है कि उत्तराखंड की नई सरकार बनने में मुस्लिम वोटरों का अहम रोल होगा.