नई दिल्ली : स्कॉटिश शहर ग्लासगो में 26वें कांफ्रेंस आफ पार्टीज (सीओपी-26) में विश्वभर के नेता जुटेंगे. 31 अक्टूबर से 12 नवंबर तक शुरू होने जा रही इस बैठक में 120 देशों के नेता ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन को रोकने और ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 से 2 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के तरीकों पर चर्चा करेंगे.
COP26 से पहले भारत, अमेरिका और यूरोपीय संघ सहित अन्य देशों के बीच कई द्विपक्षीय बैठकें हुई हैं. इस सप्ताह की शुरुआत में एक बैठक के दौरान केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने COP के सार्थक परिणाम के लिए यूके COP प्रेसीडेंसी को भारत के पूर्ण समर्थन का आश्वासन देते हुए कहा था कि आगामी COP26 'कार्रवाई और कार्यान्वयन का COP' होना चाहिए.
उन्होंने कहा था कि सम्मेलन में केवल 'वादे और संकल्प' नहीं होने चाहिए तथा दुनिया को दीर्घकालिक लक्ष्यों के बजाय इस दशक में त्वरित और अधिक उत्सर्जन कटौती करने की जरूरत है'. केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा था कि विज्ञान ने समय के साथ जलवायु परिवर्तन के संबंध में त्वरित कार्रवाई की तात्कालिकता को स्पष्ट रूप से रेखांकित किया है. दुनियाभर में अत्यंत प्रतिकूल मौसम के घटनाक्रम में इस बात की पुष्टि होती है जो विज्ञान हमें बता रहा है. यादव ने कहा था कि संयुक्त राष्ट्र की प्रक्रियाओं और मंचों में दुनिया का भरोसा सभी को बनाकर रखना होगा. सीओपी26 अब वित्तीय और प्रौद्योगिकी समर्थन में कार्रवाई के लिए सीओपी होना चाहिए और केवल वादे और संकल्प नहीं.
पर्यावरणविद् ने ये दिया सुझाव
COP26 से भारत की अपेक्षाओं पर 'ईटीवी भारत' से बात करते हुए पर्यावरणविद् मनु सिंह ने कहा, 'वैश्विक स्तर पर समग्र स्थिति बहुत निराशाजनक होती जा रही है. ग्लोबल वार्मिंग एक खतरनाक दर से बढ़ रही है और हमने कई सुपरस्टॉर्म के रूप में इसका असर देखा है. मेरा मानना है कि कि अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में निवेश करने, जीवाश्म ईंधन से चलने वाले वाहनों को लाने के अलावा, भारत को पशुधन उद्योग के बारे में भी पता होना चाहिए जो अब भारत में फलफूल रहा है.