नई दिल्ली: अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) के अंदर चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) द्वारा कभी-कभार घुसपैठ से अवगत होने के कारण, पेमा खांडू सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्रालय (Union Home Ministry) से सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के विकास की अपील की है. गृह मंत्रालय के साथ हाल ही में एक संचार में, राज्य सरकार ने इस बात पर प्रकाश डाला है कि सीमावर्ती क्षेत्रों (चीन सीमा के साथ) जैसे सीमित सामाजिक बुनियादी ढांचे, सीमित संपर्क, उथली आर्थिक गतिविधियों आदि के परिणामस्वरूप सीमावर्ती आबादी का तलहटी में प्रवास हो सकता है.
उसी संचार में, राज्य सरकार ने इस बात पर प्रकाश डाला है कि स्थानीय क्षेत्र में रोजगार, सड़क, हवाई और रेलवे के माध्यम से कनेक्टिविटी बढ़ाने के साथ-साथ डिजिटल कनेक्टिविटी सीमावर्ती गांवों को जीवंत बना सकती है. अरुणाचल प्रदेश की 1,863 किलोमीटर की सीमा चीन (1126 किलोमीटर), म्यांमार के साथ 520 किलोमीटर और भूटान के साथ 217 किलोमीटर की सीमा साझा करती है. 2011 की जनगणना के अनुसार, सीमावर्ती क्षेत्रों में 3,90,934 आबादी रहती है, जो 1944 के सीमावर्ती गांवों में फैली हुई है.
सिक्किम सरकार ने भी गृह मंत्रालय के सामने ऐसी ही चिंता जताई है. आंतरिक सुरक्षा पर हाल ही में संपन्न चिंतन शिविर के दौरान, सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग ने भी गृह मंत्री अमित शाह के साथ इसी मुद्दे पर प्रकाश डाला. हालांकि, अरुणाचल प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार द्वारा स्वीकृत सीमा क्षेत्र विकास कोष से परियोजना के कार्यान्वयन पर जोर दिया. सीमावर्ती क्षेत्रों के कई गांवों को 25 रुपये की लागत से पायलट प्रोजेक्ट के रूप में आदर्श गांव के रूप में विकसित किया जा रहा है.