नई दिल्ली: अरुणाचल प्रदेश में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन के साथ तनाव के बीच वायुसेना ने गुरुवार को पूर्वोत्तर क्षेत्र में एक बड़ा अभ्यास शुरू किया. इस अभ्यास में राफेल लड़ाकू विमानों को भी शामिल किया गया है. इस अभ्यास के बारे में जानकारी रखने वाले लोगों ने कहा कि बड़े पैमाने पर किये जा रहे इस दो दिवसीय अभ्यास में लगभग सभी अग्रिम पंक्ति के लड़ाकू विमान एवं क्षेत्र में तैनात अन्य परिसंपत्तियां शामिल की गई हैं.
वायुसेना ने एक ट्वीट में कहा कि 36 राफेल लड़ाकू विमानों में से अंतिम विमान भी बल में शामिल हो गया है. वायुसेना ने पिछले साल जुलाई में हासीमारा में पूर्वी वायु कमान के अपने 101 स्क्वाड्रन में राफेल विमान को शामिल किया था. लगभग 18 लड़ाकू विमान वाला पहला राफेल स्क्वाड्रन अंबाला एयर बेस में स्थित है. आईएएफ ने कहा, 'वायुसेना के 36 राफेल विमानों में से आखिरी विमान रास्ते में यूएई वायुसेना के टैंकर से तेल भराने के बाद भारत में उतरा.'
सूत्रों ने कहा कि फ्रांस निर्मित लड़ाकू विमान हासीमारा में दूसरे राफेल स्क्वाड्रन में शामिल हुआ, जिससे इसमें विमानों की कुल संख्या बढ़कर 18 हो गई. उन्होंने कहा कि राफेल जेट के दूसरे स्क्वाड्रन को सुखोई-30 एमकेआई विमान जैसी अन्य प्रमुख परिसंपत्तियों के साथ पूर्वी वायु कमान के तहत इस वायु अभ्यास का हिस्सा बनना था. भारतीय वायुसेना के एक अधिकारी ने कहा कि इस अभ्यास की योजना काफी पहले बनाई गई थी और इसका तवांग क्षेत्र में हाल के घटनाक्रम से कोई संबंध नहीं है.
भारतीय थलसेना ने सोमवार को एक बयान में कहा, 'पीएलए के सैनिकों के साथ तवांग सेक्टर में एलएसी पर नौ दिसंबर को झड़प हुई. हमारे सैनिकों ने चीनी सैनिकों का दृढ़ता के साथ सामना किया. इस झड़प में दोनों पक्षों के कुछ जवानों को मामूली चोटें आईं.' यह आमना-सामना पूर्वी लद्दाख में दोनों पक्षों के बीच 30 महीने से अधिक समय से सीमा गतिरोध के बीच हुआ. एक सूत्र ने कहा कि पूर्वोत्तर में सभी फ्रंटलाइन एयर बेस और कुछ प्रमुख उन्नत लैंडिंग ग्राउंड अभ्यास में शामिल होने के लिए तैयार हैं.