नई दिल्ली :23 मार्च को पूरा देश शहीदी दिवस के तौर पर मनाएगा. इस दिन देश के तीन वीर सपूत भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव हंसते-हंसते फांसी के फंदे पर झूल गए थे. काउंसिल हाउस (वर्तमान संसद) में फेंके गए बम की बात करें, तो यह काम 8 अप्रैल, 1929 को भगत सिंह के साथी बटुकेश्वर दत्त के साथ मिलकर किया था. उनकी गिरफ्तारी के बाद दोनों का मुकदमा एक मुस्लिम वकील ने लड़ा. उन्हीं वकील की पत्नी के नाम पर दिल्ली की एक सड़क का नाम अरुणा आसफ अली मार्ग पड़ा है, तो आइए जानते हैं भगत सिंह की पैरवी से लेकर सड़क का नामकरण होने तक का सफर...
आसफ अली ने लड़ा दोनों मुकदमा
गिरफ्तारी के बाद दोनों पर मुकदमा चलाया गया. कांग्रेस पार्टी के आसफ अली ने भगत सिंह का मुक़दमा लड़ा. आसफ अली के साथ पहली मुलाकात में भगत सिंह ने उनसे कहा कि 'हम सिर्फ़ इस बात का दावा करते हैं कि हम इतिहास और अपने देश की परिस्थितियों और उसकी आकांक्षाओं के गंभीर विद्यार्थी हैं.'