देहरादूनः भारतीय सेना में उत्कृष्ट कार्यों के लिए दिए जाने वाला सम्मान 'स्वॉर्ड ऑफ ऑनर' (Sword of Honor) की तलवार को पाने का सपना हर जवान का होता है. इस सम्मान चिन्ह को 1968 से देहरादून में तैयार किया जा रहा है. देहरादून स्थित इंडियन मिलिट्री एकेडमी (Indian Military Academy) में बेस्ट ट्रेनिंग का खिताब पाने वाले जेंटलमैन कैडेट को भी पासिंग आउट परेड में इस 'स्वॉर्ड ऑफ ऑनर' तलवार से सम्मान देकर नवाजा जाता है.
देशभर में सेना के अलग-अलग इवेंट से लेकर राष्ट्रीय पर्व 15 अगस्त और 26 जनवरी में शामिल होने वाले उत्कृष्ट सेवा ऑफिसर के हाथों में भी यह तलवार सम्मान चिन्ह के रूप में नजर आती है. सेना के सम्मान चिन्हों से लेकर मोमेंटो वाले सामान को तैयार करने में खानदानी पेशे से जुड़े सरदार जसवीर सिंह (Sardar Jasveer Singh) बताते हैं कि देश बटवारें से पहले वे लोग पाकिस्तान के एबटाबाद में रॉयल इंडिया मिलिट्री के लिए यह तलवार बनाते थे. उसके बाद 1968 से देहरादून रेस कोर्स और घंटाघर के समीप अन्य तलवारों के साथ ही सेना की 'स्वॉर्ड ऑफ ऑनर' वाली तलवार तैयार कर रहे हैं.
उम्दा कारीगरों की कलाकारीः भारतीय सेना में 'स्वॉर्ड ऑफ ऑनर' सम्मान में मिलने वाली इस ऐतिहासिक तलवार को उम्दा कारीगरों द्वारा बड़ी मेहनत के साथ तैयार किया जाता है. जसवीर सिंह के मुताबिक, सबसे पहले बेहतरीन क्वालिटी लोहे पट्टे को नापतोल कर काटा जाता है. उसके बाद लोहे की कटाई छटाई कर पीटा जाता है. दूसरे चरण में तलवार का रूप देकर उनको अलग-अलग तरह से फिनिशिंग दिया जाता है.
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