Article 370: मोदी बनाम कांग्रेस की चार पीढ़ियां, अब अनुच्छेद 370 के बारे में क्या सोचते हैं कश्मीरी नेता - धारा 370 की दोबारा बहाली
मोदी सरकार के 9 साल पूरे होने पर भाजपा ने सोशल मीडिया पर लगातार अभियान छेड़ रखा है, जिसमें वह मोदी सरकार की उपलब्धियों को गिना रही है. जबकि कुछ कश्मीरी नेताओं ने धारा 370 की दोबारा बहाली की उम्मीद ही छोड़ दी है. पढ़ें पूरी रिपोर्ट..
अनुच्छेद 370
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Published : Jul 8, 2023, 5:44 PM IST
हैदराबाद: भाजपा ने जम्मू कश्मीर समस्या के बारे में जिक्र करते हुए यह दावा किया है कि नेहरू-गांधी परिवार की 4 पीढ़ियों पर अकेले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दमदार साबित हुए हैं क्योंकि उन्होंने ही राज्य से धारा 370 को हटाकर जम्मू कश्मीर को भारत का मुकुटमणि बनाया है.
भाजपा ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से 4 पीढ़ी बनाम अकेला मोदी शीर्षक के साथ जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और राहुल गांधी बनाम नरेंद्र मोदी की तस्वीर वाले पोस्टर को शेयर करते हुए ट्वीट किया, "4 पीढ़ी बनाम अकेला मोदी ! कांग्रेस राज में जम्मू कश्मीर में धारा 370 लागू होने के कारण भारत का हिस्सा होने पर भी राज्य में अलग विधान लागू था, जबकि पीएम मोदी के नेतृत्व में कश्मीर से धारा 370 को हटाकर राज्य को भारत का मुकुटमणि बनाया गया."
दरअसल, भाजपा ने केंद्र में मोदी सरकार के 9 साल के कामकाज और उपलब्धियों को देश की जनता तक पहुंचाने के लिए सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफॉर्म पर भी लगातार अभियान छेड़ रखा है. इसके जरिए भाजपा मोदी सरकार की उपलब्धियों को जनता के सामने रखने के साथ-साथ कांग्रेस, गांधी परिवार एवं अन्य विरोधी दलों पर निशाना साधते रहती है.
आपको बता दें कि भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ 11 जुलाई को अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई शुरू करेगी. पांच सदस्यीय संविधान पीठ में न्यायमूर्ति बीआर गवई, न्यायमूर्ति एसके कौल, मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति सूर्यकांत शामिल हैं.
इससे पहले कई कश्मीरी नेताओं ने धारा 370 के लिए आवाज बुलंद करने की कोशिश की है और कश्मीर और कश्मीरी भाषा को अपनी असल पहचान बताया है. पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने कुछ दिनों पहले कहा था कि जब तक कश्मीर में धारा 370 दोबारा बहाल नहीं हो जाता, वह विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगी. उन्होंने कहा 'अनुच्छेद 370 के अवैध निरस्तीकरण को चुनौती देने वाली 2019 से लंबित याचिकाओं पर अंततः सुनवाई करने के माननीय सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत है. मुझे उम्मीद है कि जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए न्याय बरकरार रहेगा और दिया जाएगा. अनुच्छेद 370 पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले में कहा गया कि इस प्रावधान को केवल जम्मू-कश्मीर संविधान सभा की सिफारिश पर ही हटाया जा सकता है.'
जबकि कुछ कश्मीरी नेताओं को लगता है कि अब 370 का वापस आना मुमकिन नहीं है. मेडिकल डॉक्टर से नौकरशाह बने शाह फैसल ने मंगलवार को ट्वीट किया कि संविधान का प्रावधान (अनुच्छेद 370) एक इतिहास है और पीछे मुड़कर देखने की जरूरत नहीं है. शाह फैसल की यह टिप्पणी अनुच्छेद 370 को हटाए जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ की सुनवाई से कुछ दिन पहले आई है. एक ट्वीट में फैसल ने कहा कि (अनुच्छेद) 370 मेरे जैसे कई कश्मीरियों के लिए अतीत का हिस्सा है. झेलम और गंगा अब एक बड़े और बेहतर उद्देश्य के लिए हमेशा के लिए हिंद महासागर में विलीन हो गई हैं. अब (अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के साथ) पीछे मुड़ना नहीं है, केवल आगे बढ़ना है.
नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की कड़ी आलोचना करते हुए कहा है कि हमें भाजपा से इस बात की कोई उम्मीद नहीं है कि 5 अगस्त 2019 को लोगों से जो अधिकार छीन लिए गए थे, उसे भाजपा शासनकाल में बहाल किया जाएगा. उमर अब्दुल्ला ने दावा किया कि अगर उनकी पार्टी प्रदेश में कमजोर नहीं हुई होती तो अनुच्छेद 370 को निरस्त करना संभव नहीं होता.
अवामी नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष मुजफ्फर शाह ने बताया कि 11 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट शाह फैसल द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करेगा, जिसे उन्होंने वापस ले लिया है. हालाँकि, छह अन्य याचिकाएँ पहले ही सुप्रीम कोर्ट में दायर की जा चुकी हैं, जिनका शाह फैसल की याचिका से कोई लेना-देना नहीं है. पैंथर्स पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं अधिवक्ता हर्ष देव सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर जम्मू-कश्मीर में लोकतांत्रिक व्यवस्था बहाल करने के लिए चुनाव कराने की मांग की थी, जिसे रद्द कर दिया गया है.